स्वच्छता का समाजशास्त्र (Sociology of Sanitation)

बी.के. नागला (सम्पादक) B.K. Nagla

स्वच्छता का समाजशास्त्र (Sociology of Sanitation)

बी.के. नागला (सम्पादक) B.K. Nagla

-20%796
MRP: ₹995
  • ISBN 9788131613016
  • Publication Year 2023
  • Pages 204
  • Binding Hardback
  • Sale Territory World

About the Book

‘स्वच्छता का समाजशास्त्र’ स्वच्छता के पारस्परिक सम्बन्धों का सामाजिक अध्ययन है। अर्थात् ‘स्वच्छता का समाजशास्त्र’, स्वच्छता व समाज के बीच के आन्तरिक सम्बन्धों का अभ्यास करने वाला शास्त्र है, जिसमें मनुष्य और समाज के पारस्परिक प्रभाव का अध्ययन किया जाता है।

भारत का इतिहास गवाह है कि कई समाज सुधारकों के द्वारा स्वच्छता सम्बन्धी आन्दोलन चलाए गए हैं। इसमें मुख्यतः महात्मा गाँधी, डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर, संत गाडेस बाबा व सूर्यकान्त परीख उल्लेखनीय हैं। इन लोगों ने स्वच्छता व स्वास्थ्य सुधार, शौचालय के गंदेपन का निवारण, शौचालय व स्नानगृह की सफाई आदि के लिए जन-जागृति की मुहिम छेड़ी है। गाँधी जी ने स्वच्छता व अस्पृश्यता निवारण को स्वतन्त्राता संग्राम प्रवृति का एक हिस्सा बनाया था। पूर्व प्रधनमंत्राी इन्दिरा गाँधी का मत है कि ‘भारत में स्वच्छता का अर्थ केवल सफाई से नही है, किन्तु वह मानव के मल-मूत्र को अपने सिर पर ढोनें की प्रथा का अंत है।’

डॉ. विन्देश्वर पाठक ने निम्न जाति के लोगों द्वारा गन्दगी उठाने के कार्य का विरोध किया है तथा सामाजिक उत्थान व मानव अधिकार के सन्दर्भ में डॉ. पाठक सदैव कार्यरत् रहे हैं। आज इक्कीसवीं सदी के प्रारम्भ में भारत की वर्तमान सरकार तथा प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के समस्त लोगों के बीच स्वच्छता के अभियान की स्वस्थ संकल्पना को कायम करने का सफल प्रयास किया है।

वर्तमान समय में जब स्वच्छता व सफाई से संबंधित बदलते परिप्रेक्ष्य व बदलती विचारधारा नागरिकों की पहचान को प्रस्तुत करने का माध्यम बन रही है, तब ‘स्वच्छता का समाजशास्त्र’ विषयक सर्वग्राही, मननशील, तर्कशील व गहराई युक्त सघन चर्चा प्रस्तुत करने वाला यह साहित्य पाठकों, अनुसंधानकर्ताओं एवं नीति निर्धारकों को स्वच्छता केंद्रित परिवर्तन की दिशा की ओर ले जाएगा। साथ ही यह पर्यावरण एवं जलवायु के शुद्धिकरण के प्रति मंथन करने पर प्रेरित करेगा। यह भी सम्भावना है कि जनमानस के विचारों को ऊँचाई तक पहुँचाने में यह ग्रंथ अहम् भूमिका निभायेगा। अतः यह पुस्तक सभी के लिए उपयोगी है।


Contents

1 स्वच्छता का समाजशास्त्र: एक परिचयात्मक विमर्श / बी.के. नागला
2 प्रोफेसर डॉ. विन्देश्वर पाठक: एक परिचय / बी.के. नागला
3 स्वच्छता एवं पर्यावरण / महात्मा गांधी
4 पूर्व-आधुनिक युग में अस्पृश्यता एवं स्वच्छता: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य / हेतुकर झा
5 भारत में स्वच्छता आंदोलन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि / अनिल वाघेला
6 आधुनिक भारत में धार्मिकता एवं स्वच्छता: एक समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य (’प्रयाग’ कुम्भ मेले की समीक्षा) / आशीष सक्सेना एवं विजयलक्ष्मी सक्सेना
7 स्वच्छता और सामाजिक संस्थाएं / रिचर्ड पाइस
8 स्वच्छता, स्वास्थ्य और समाज / बी.के. नागला
9 स्वच्छता और पर्यावरण / अनिल वाघेला
10 भारत में स्वच्छता कार्यक्रम / मोहम्मद अकरम
11 स्वच्छता का समाजशास्त्र: विन्देश्वर पाठक के साथ साक्षात्कार / बी.के. नागला एवं आशीष कुमार
12 स्वच्छता एवं समाज: एक आलोचनात्मक दृष्टि / राजीव गुप्ता एवं एस.सी. चौहान


About the Author / Editor

बी.के. नागला, प्रख्यात समाजशास्त्रीय विश्लेषक, महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक में प्रोफेसर रहे हैं। आपने एम.एस. विश्वविद्यालय, बड़ौदा तथा नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑपफ क्रिमिनोलॉजी एंड फॉरेन्सिक साइंस, नई दिल्ली में अध्यापन भी किया है। सेवानिवृत्ति के पश्चात् आप कोटा खुला विश्वविद्यालय, कोटा तथा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में बाबू जगजीवनराम पीठ में प्रोफेसर पद पर कार्यरत रहे हैं। आपने देश और विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों में आपने व्याख्यान दिए हैं। देश-विदेश की कई पत्रिकाओं में आपके लेख प्रकाशित हुए हैं। समाजशास्त्र एवं अपराधशास्त्र में आपके योगदान के लिये भारतीय समाजशास्त्राीय परिषद् ने आपको सम्मानित किया तथा राजस्थान समाजशास्त्र परिषद् ने जीवन उपलब्धि सम्मान से नवाजा है।


Your Cart

Your cart is empty.