About the Book
समाजशास्त्र एक वृहत् विज्ञान है जो समाज के हर पक्ष का वैज्ञानिक अध्ययन करता है। इसी श्रेणी में दो महत्वपूर्ण पक्ष भी है जिन्हें समाजशास्त्र के विद्यार्थियों को समझना आवश्यक है और ये पक्ष हैं परिवर्तन ;ब्ींदहमद्ध और विकास ;क्मअमसवचउमदजद्ध। ये दोनों ही प्रक्रियाएँ या अवधारणाएँ परस्पर रूप से सम्बद्ध है। जहाँ परिवर्तन है वहाँ विकास होगा ही, और जहाँ विकास होगा, वहाँ परिवर्तन अवश्यम्भावी है। इस पुस्तक का मुख्य ध्येय सामाजिक परिवर्तन और सामाजिक-आर्थिक विकास से हैं। इन अवधारणाओं से जुड़े विभिन्न पक्षों का विश्लेषण समाजशास्त्र के विद्यार्थी के लिये आवश्यक है और इससे उसकी समाजशास्त्रीय समझ विकसित होती है। इसी परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए परिवर्तन की अवधारणा को विशद् रूप से समझते हुए विकास से जुडे़ विभिन्न आयामों को समाजशास्त्रीय संदर्श से प्रस्तुत किया है।
परिवर्तन और विकास का समाजशास्त्र पूर्णरूपेण विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रस्तुत पाठ्यक्रमानुसार लिखी गयी है ताकि विद्यार्थी विषय से जुड़ी सम्पूर्ण सामग्री एक ही स्थान पर प्राप्त कर सकें। परिवर्तन के कारक, सिद्धान्त और प्रक्रियाओं का विश्लेषणात्मक समावेश पुस्तक में प्रस्तुत हैं, तो दूसरी तरफ विकास की बदलती अवधारणाएँ, विकास का आलोचनात्मक परिप्रेक्ष्य, अल्प विकास के सिद्धान्त, विकास के पथ एवं अभिकरण, सामाजिक संरचना और विकास के परस्पर सम्बन्ध, संस्कृति एवं विकास के सम्बन्धों की व्याख्या और भारतीय संदर्भ में विकास, सामाजिक नीतियाँ एवं कायक्रमों के मूल्यांकन एवं निगरानी की समुचित व्याख्या की गयी है।
Contents
सामाजिक परिवर्तन क्या है?
सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त एवं कारक
समकालीन भारत में सामाजिक परिवर्तन: परिवर्तन की प्रवृत्तियाँ एवं प्रक्रियाएँ
विकास की बदलती अवधरणाएँ
विकास के विभिन्न समीक्षात्मक परिप्रेक्ष्य
विकास एवं अल्प विकास के सिद्धान्त
विकास के पथ: पूँजीवादी, समाजवादी, मिश्रित अर्थव्यवस्था, गाँधीवादी एवं विकास के अभिकरण
सामाजिक संरचना एवं विकास
संस्कृति एवं विकास
विकास के भारतीय अनुभव: नियोजित परिवर्तन एवं आर्थिक सुधार के समाजशास्त्रीय परिणाम
सामाजिक नीति एवं कार्यक्रम: निर्माण एवं निहितार्थ
About the Author / Editor
पी.सी. जैन, ज.रा.ना. राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर में समाजशास्त्र विभाग में प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष पद पर आसीन रहे और सन् 2018 में सेवानिवृति के पश्चात् उदयपुर स्थित पेसेफीक मेडिकल विश्वविद्यालय, उदयपुर में परीक्षा नियंत्रक के पद पर कार्य कर रहे हैं। डॉ. जैन की रुचि समाजशास्त्र से जुडे़ गंभीर विषयों को सरल व सुरुचिपूर्ण तरीके से हिन्दी माध्यम से छात्रों को उपलब्ध कराने में रही है। आपने ग्रामीण समाज, जनजातीय समाज, सामाजिक आंदोलन, समाजशास्त्रीय विचारकों जैसे विषयों पर हिन्दी व अंग्रेजी में लेखन कार्य किया तथा अनेक पुस्तकों का प्रकाशन भी किया।