सामाजिक परिवर्तन (समाजशास्त्र रीडर - V) Social Change (Hindi)

नरेश भार्गव, वेददान सुधीर, अरुण चतुर्वेदी और संजय लोढ़ा (Naresh Bhargava, Veddan Sudhir, Arun Chaturvedi and Sanjay Lodha)

सामाजिक परिवर्तन (समाजशास्त्र रीडर - V) Social Change (Hindi)

नरेश भार्गव, वेददान सुधीर, अरुण चतुर्वेदी और संजय लोढ़ा (Naresh Bhargava, Veddan Sudhir, Arun Chaturvedi and Sanjay Lodha)

-15%319
MRP: ₹375
  • ISBN 9788131611791
  • Publication Year 2021
  • Pages 310
  • Binding Paperback
  • Sale Territory World

About the Book

व्यक्ति समाज का रचयिता है। व्यक्तियों के पारस्परिक सम्बन्धों से जो संरचना बनी है, वही समाज है। सामाजिक सम्बन्धों के इसी ताने-बाने से व्यक्ति और रचित समाज के बीच सम्बन्धों के स्वरूप स्थापित होते हैं। इसलिए व्यक्तियों के समाज के साथ कई संदर्भ हैं। समाज और व्यक्ति के सम्भावित रिश्ते को जानने की जिज्ञासा भी रहती है। इसी तरह किसी भी समाज में सामाजिक व्यवस्था प्रभावित होती रहती है। कई कारक, मान्यताएँ, परिस्थितियाँ और व्यवहार समाज में विचलन और गतिरोध उत्पन्न करते हैं। जो धीरे-धीरे सामाजिक समस्याओं का रूप ले लेते हैं। इन सामाजिक समस्याओं से मानवीय सामाजिक जीवन प्रभावित होता है और सामाजिक विघटन की भी सम्भावना बनती है। अतः समाज को बनाए रखने और उसे समृद्ध बनाने के लिए गहराई से इन समस्याओं को समझने की आवश्यकता है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि सामाजिक परिवर्तनों में आंदोलनों की महती भूमिका होती है। आन्दोलन समाजशास्त्र में सामूहिक व्यवहार के प्रतीक हैं। सामूहिक व्यवहार के यों तो कई स्वरूप हैं, पर आन्दोलन एक विशिष्ट प्रकार के व्यवहार का समूह है। समाज को बदलने और न बदलने की आकांक्षाएँ इसके साथ जुड़ी हुई हैं। दोनों ही सूरत जन अथवा वर्गीय आक्रोश को आन्दोलन के रूप में प्रकट करती हैं। सामाजिक आन्दोलन के अपने स्वरूप और प्रभाव हैं। तीन खंड में विभक्त यह संकलन भारतीय सन्दर्भों में इन्हीं सब बातों को रेखांकित करता है, जो विद्यार्थियों और पाठकों की समझ को तार्किकता प्रदान करेंगी।


Contents

1 व्यक्ति, समाज एवं अन्तःक्रिया / जे.पी. सिंह
2 समाजीकरण / एन.के. सिंघी
3 सामाजिक अनुरूपता और सामाजिक विचलन / एस.एल. दोषी एवं पी.सी. जैन
4 भीड़-व्यवहार / एन.के. सिंघी
5 सांप्रदायिकता और सांप्रदायिक हिंसा / राम आहूजा
6 गरीब और गरीबी (निर्धनता) / वी.एन. सिंह
7 स्वास्थ्य और पोषण / विनिता पांडे
8 युवा असन्तोष और आन्दोलन / राम आहूजा
9 ग्रामीण ऋणग्रस्तता की समस्या / ए.आर. देसाई
10 सामाजिक आन्दोलन : अवधारणात्मक व्याख्या / पी.सी. जैन
11 भारत में सामाजिक आन्दोलन / घनश्याम शाह
12 सामाजिक पुनर्जागरण और सामाजिक सुधार आन्दोलन / वी.एन. सिंह
13 राष्ट्रीय आन्दोलन : समाजशास्त्रीय आशय / के.एल. शर्मा


About the Author / Editor

नरेश भार्गव, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में तीन दशकों से अधिक कार्य। राजस्थान समाजशास्त्र परिषद् की पत्रिका के पूर्व संपादक। सामाजिक आन्दोलन, नागर समाज, जाति व्यवस्था, राजस्थान की सामाजिक व्यवस्था और राजनीतिक समाजशास्त्र आपके शोध के विशेष क्षेत्र रहे हैं। वर्तमान में जनबोध संस्थान, उदयपुर के अध्यक्ष।

वेददान सुधीर, विद्या भवन रूरल इंस्टिट्यूट, उदयपुर के राजनीतिक विज्ञान विभाग में पूर्व प्राध्यापक। भारत के संविधान और राजनीतिक व्यवस्था पर शोध। ‘मूल प्रश्न’ पत्रिका के संस्थापक संपादक। वर्तमान में अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के ‘अनुवाद पहल’ कार्यक्रम में योगदान दे रहे हैं।

अरुण चतुर्वेदी, कॉलेज शिक्षा निदेशालय (राजस्थान सरकार), विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन और मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के राजनीति विज्ञान विभाग में प्राध्यापक। सुखाड़िया विश्वविद्यालय के सामाजिक और मानविकी महाविद्यालय तथा विधि महाविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता। भारतीय विदेश नीति, अंतर्राष्ट्रीय कानून, राजनीतिक चिंतन और भारतीय राजनीतिक व्यवस्था उनके शोध और लेखन के विशेष क्षेत्र रहे हैं। वर्तमान में अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के ‘अनुवाद पहल’ कार्यक्रम में योगदान दे रहे हैं।

संजय लोढ़ा, कॉलेज शिक्षा निदेशालय (राजस्थान सरकार) और मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के राजनीति विज्ञान विभाग में प्राध्यापक व सामाजिक और मानविकी महाविद्यालय तथा स्नातकोत्तर अध्ययन विभाग के पूर्व अधिष्ठाता। आप दो दशकों से अधिक समय से दिल्ली स्थित विकासशील समाज अध्ययन केंद्र के लोकनीति नेटवर्क से जुड़े हुए हैं। लोकतान्त्रिक विकेंद्रीकरण, मतदान अध्ययन, अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध और राजस्थान की राजनीति उनके शोध और लेखन के विशेष क्षेत्र रहे हैं। वर्तमान में अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के ‘अनुवाद पहल’ कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं।


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