सामाजिक यथार्थः उभरते समाजशास्त्रीय नैरेटिव (SAMAJIK YATHARTH: UBHARTE SAMAJSHASTRIYA NARRATIVE) Social Reality: Emerging Sociological Narratives

संपादकः नरेश भार्गव | ज्योति सिडाना (NARESH BHARGAVA | JYOTI SIDANA)

सामाजिक यथार्थः उभरते समाजशास्त्रीय नैरेटिव (SAMAJIK YATHARTH: UBHARTE SAMAJSHASTRIYA NARRATIVE) Social Reality: Emerging Sociological Narratives

संपादकः नरेश भार्गव | ज्योति सिडाना (NARESH BHARGAVA | JYOTI SIDANA)

-20%1196
MRP: ₹1495
  • ISBN 9788131614068
  • Publication Year 2024
  • Pages 267
  • Binding Hardback
  • Sale Territory World

About the Book

समाजशास्त्र का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य विश्व को अन्याय, असमानता एवं शोषण के विरुद्ध वैचारिक चेतना के बहुआयामी परिप्रेक्ष्यों से परिचित कराना है। यह परिचय नवजागरण के मूल्यों के साथ समाजशास्त्र की निरन्तरता की एक अनिवार्यता भी है। भारतीय समाजशास्त्र के लिए यह और भी आवश्यक है क्योंकि भारतीय समाज में बिखरे हुए अनेक सामाजिक मुद्दों का विश्लेषण करने के लिए नवजागरण के मूल्यों की पृष्ठभूमि में पूर्व-औपनिवेशिक, औपनिवेशिक, उत्तर-औपनिवेशिक एवं वैश्वीकरण के विभिन्न चरणों की समाज व्यवस्था के साथ गत्यात्मक सम्बद्धता की समझ आवश्यक है।
यह पुस्तक समाज विज्ञान के विद्यार्थियों एवं जन सामान्य की चेतना में ‘कैसे तर्क किये जावे’ एवं ‘वैचारिकी की बाहुल्यता एव विविधता की समझ विकास एवं लोकतन्त्र हेतु क्यों जरूरी है’? जैसे प्रश्न उत्पन्न करेगी ताकि वास्तविकताओं के कारण एवं परिणामों को जाना जा सके। भारतीय समाजशास्त्र वास्तव में भारतीय सामाजिक यथार्थ के विभिन्न स्वरूपों को समझने की आलोचनात्मक विधा है, इस दिशा में यह सम्पादित पुस्तक योगदान करेगी। सम्पादित पुस्तक में अठारह आलेख, विभिन्न सामाजिक मुद्दों एवं भारतीय सामाजिक परिवेश की अवधारणाओं से जुड़े नौ लेख तथा साहित्य समीक्षा पर विमर्श सम्मिलित हैं। पुस्तक की विशिष्टता महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरु, राम मनोहर लोहिया, एवं प्रेमचन्द की वैचारिकी के वे पक्ष हैं जो भारतीय समाज की समझ को हमारे सामने राजनीति-संस्कृति-आर्थिकी एवं साहित्यिकी की अन्तःनिर्भरता के रूप के साथ लाते हैं।
आशा है कि यह पुस्तक समाजशास्त्र के साथ-साथ अन्य सभी समाजविज्ञानों से सम्बद्ध शिक्षकों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।



Contents

अंकिता मुखर्जी
आशीष कुमार
सुमेधा दत्ता
ज्योति सिडाना
राजन पांडेय
देवी दयाल गौतम
राजीव गुप्ता
विशेष गुप्ता
योगेन्द्र सिंह (स्व-)
ओम प्रभात अग्रवाल
प्रेमचन्द
ए-आर- देसाई
पी-सी- जोशी
राम बक्ष जाट
मोहम्मद नौशाद
अमित राय
विवेक कुमार
अजिर्जुर रहमान आजमी



About the Author / Editor

नरेश भार्गव, मोहनलाल सुऽाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर से समाजशास्त्र के सेवानिवृत प्रोफेसर हैं। इससे पूर्व आपने पं- जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर और मध्यप्रदेश शासन आदिम जाति कल्याण विभाग में काम किया है। सामाजिक आन्दोलन, नागर समाज, जाति व्यवस्था, राजस्थान की सामाजिक व्यवस्था और राजनीतिक समाजशास्त्र आपके शोध के विशेष क्षेत्र रहे हैं। कई समाचार पत्रें तथा पत्रिकाओं में आपके समसामयिक हिन्दी तथा अंग्रेजी लेख प्रकाशित हुए हैं। आप राजस्थान समाजशास्त्र परिषद के अध्यक्ष तथा राजस्थान जर्नल ऑफ सोश्योलॉजी के संपादक भी रह चुके हैं। आप जनबोध सामाजिक एवं सांस्कृतिक शोध संस्थान के अध्यक्ष भी हैं।
ज्योति सिडाना राजकीय कला कन्या महाविद्यालय, कोटा में समाजशास्त्र में सह-आचार्य पद पर कार्यरत हैं। इन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय के दक्षिण एशिया अध्ययन केन्द्र से एम-फिल- तथा ‘राजनीति, समाज एवं ज्ञान-अभिजन’ विषय पर पीएच-डी- की उपाधि प्राप्त की है। इन्हें राजस्थान समाजशास्त्र परिषद् द्वारा राजस्थान पर सर्वश्रेष्ठ समाजशास्त्रीय लेऽन के लिए प्रो- ओ-पी- शर्मा स्मृति पुरस्कार (2011) तथा भारतीय समाज विज्ञान परिषद् द्वारा प्रो- राधा कमल मुऽर्जी यंग सोशल साइंटिस्ट पुरस्कार (2012) प्राप्त है। वर्ष 2014-16 में यू-जी-सी- द्वारा रिसर्च अवार्ड तथा वर्ष 2018 में उच्च तकनीकी एवं संस्कृत विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा अकादमिक योगदान के लिए ‘राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान-2018’ द्वारा सम्मानित किया गया। इन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों में कई शोध-पत्र प्रस्तुत किए हैं। विभिन्न समाचारपत्रें एवं पत्रिकाओं में 215 लेऽ एवं सर्वे प्रकाशित हो चुके हैं। अंतर्राष्ट्रीय समाजशास्त्र परिषद् की ई-पत्रिका ‘वैश्विक संवाद’ के संपादक मंडल की एक सदस्य के रूप में 80 लेऽों का हिंदी अनुवाद किया है और चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।



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