भारतीय सामाजिक व्यवस्था (BHARTIYA SAMAJIK VYAVASTHA – Indian Social System) – Hindi

राम आहूजा (Ram Ahuja)

भारतीय सामाजिक व्यवस्था (BHARTIYA SAMAJIK VYAVASTHA – Indian Social System) – Hindi

राम आहूजा (Ram Ahuja)

-15%931
MRP: ₹1095
  • ISBN 9788170332671
  • Publication Year 1995
  • Pages 408
  • Binding Hardback
  • Sale Territory World

About the Book

सामाजिक व्यवस्थाओं का विश्लेषण मूल समाजशास्त्रीय ज्ञान की पूर्व शर्त है ताकि यह जाना जा सके कि समाज के संगठन का स्वरूप व उसके परिवर्तन की दिशा क्या है? समाज व सम्बद्ध सामाजिक व्यवस्थाएं केवल व्यक्तियों की समष्टि नहीं हैं अपितु सम्बन्धों व परिसीमाओं की गत्यात्मक जटिलता भी है। समाज में परिवर्तन सामाजिक व्यवस्थाओं की क्रियाशीलता की स्थितियों को बदल देता है, अतः उन्हें अपने को समायोजित करना पड़ता है।
क्या भारतीय समाज में अराजकता और मानकशून्यता की स्थिति उत्पन्न हो रही है?
आज भारतीय समाजशास्त्र के सम्मुख यह अहम् सवाल है जिसका उत्तर देना समाजशास्त्रियों का दायित्व है। हमारे समाज में अन्तर्धार्मिक व अन्तर्जातीय संघर्ष जटिल हुए हैं। राजनीति का धर्मीकरण और धर्म का राजनीतिकरण हो गया है। धर्मनिरपेक्षता के विचार पर प्रहार हो रहा है और साम्प्रदायिकता की धारणाएं नवीन संदर्भों के साथ विकसित हो रही हैं। ऐसा लगता है कि आज समाज में एकता और अखण्डता का आधार टूट रहा है। इन स्थितियों के बावजूद भी विकास और आधुनिकीकरण सम्बन्धी हमारी आकांक्षाएं मिथ्या सिद्ध नहीं हुई हैं। परम्परागत सामाजिक व्यवस्थाएं पूर्णरूपेण विघटित नहीं हुई हैं। इन्होंने केवल पुराने आधार पर परिचालन न कर सकने के कारण स्वयं को नये परिवेश में अनुकूलित किया है।
इस पुस्तक में भारतीय समाज में उप-व्यवस्थाओं के समायोजन की प्रकृति को व सामाजिक परिवर्तन के प्रतिमानों को आंकने का प्रयास किया गया है। पुस्तक परिवर्तन सम्बन्धी प्रवृत्तियां इंगित करती है तथा उन आकस्मिक, अल्पकालिक व अव्याख्येय परिवर्तनों की भी पहचान करती है जिन्हें मतभेद समर्थक व विच्छेदकारी प्रवृत्तियों के रूप में अंकित किया गया है।


Contents

 हिन्दू दर्शन: निरन्तरता और परिवर्तन
 विविधता में एकता
 परिवार व्यवस्था
 नातेदारी व्यवस्था
 स्त्रियों की स्थिति
 हिन्दू विवाह
 मुस्लिम एवं ईसाई विवाह
 विवाह की आयु
 विवाह.विच्छेद
 दहेज
 अन्तर्जातीय विवाह
 जातिः अवधारणा, उत्पत्ति एवं संरचना
 जाति की परिवर्तित संरचना एवं भविष्य
 अन्तर्जातीय एवं अन्तःजातीय सम्बन्ध और जाति संघर्ष
 जजमानी व्यवस्था
 जाति एवं राजनीति
 संस्कृतिकरण तथा पश्चिमीकरण
 अनुसूचित जातियां
 सामाजिक परिवर्तन और विकास
 आधुनिकीकरण
 आर्थिक विकास तथा सामाजिक परिवर्तन


About the Author / Editor

राम आहूजा राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के समाजशास्त्र विभाग के प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष एवं भारतीय समाज विज्ञान शोध परिषद (आई.सी.एस.एस.आर.) के सीनियर फेलो रहे। दीर्घ शैक्षणिक व शोध अनुभव के आधार पर उनकी अनेक पुस्तकें और शोध प्रबन्ध प्रकाशित हो चुके हैं। विभिन्न राष्ट्रीय और प्रादेशिक अकादमियों और प्रशासकीय प्रशिक्षण संस्थाओं में वे दो दशकों तक अतिथि वक्ता रहे। इनकी लिखी पुस्तक ‘अपराधशास्त्र’ पर वर्ष 1984 में गोविन्दवल्लभ पन्त पुरस्कार एवं वर्ष 1998 में कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा ‘वायलेंस अगेन्सट वुमैन’ पर सुप्रभा देब गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया।


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