About the Book
सामाजिक संरचनाओं और सामाजिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करना समाजशास्त्रा वेफ मूल उद्देश्यों में से एक रहा है। सामाजिक प्रक्रियाओं और सामाजिक संरचनाओं वेफ बीच परस्पर अंतरूक्रिया वेफ पफलस्वरूप समाज में कई गतिशीलताएँ उत्पन्न होती हैं और हालिया दिनों में वै िश्वक प्रकियाओं से व्यापक जुड़ाव वेफ कारण भारतीय समाज में कई नई गतिशीलताओं का उद्भव हुआ है। प्रस्तुत पुस्तक ‘भारतीय समाज की गतिशीलता’ में इसी विषयवस्तु को दृष्टिकोण में रख कर ‘भारतीय समाजशास्त्रा समीक्षा’ में पिछले एक दशक में प्रकाशित प्रपत्रों का संकलन किया गया है जो पिछले वुफछ दशकों में भारतीय समाज में आई वुफछ नवीन गतिशीलताओं का समाजशास्त्राीय विश्लेषण प्रस्तुत करते हैं। इस पुस्तक वेफ अध्यायों में भारत में समाजशास्त्रा की विद्या से जुड़े पेशेवरों की तीन पीढ़ियों का अनुभव एवं दृष्टिकोण का समावेश मिलता है जो भारतीय समाज वेफ विभिन्न आयामों जैसे भारत की परिकल्पना, राष्ट्र निर्माण, ग्रामीण परिवेश, शहरीकरण, शिक्षा, समावेशी और सतत विकास, गैर-किसानीकरण, भूमंडलीकरण, जन-आंदोलन आदि विषयवस्तुओं का समाजशास्त्राीय विश्लेषण प्रस्तुत करते हैं। प्रस्तुत पुस्तक हिन्दी भाषा वेफ माध्यम से भारत में समाजशास्त्रा विषय से जुड़े छात्रों, शोधार्थियों, शिक्षकों एवं पेशेवरों वेफ लिए एक महत्वपूर्ण पाठ्यपुस्तक सि( होगी।
Contents
खण्ड 1: भारतीय समाज की पुनर्दृष्टियाँ
1 विवेकानन्द की भारतीय समाज की परिकल्पना- रामगोपाल सिंह
2 राष्ट्र-निर्माण के संदर्भ में 1857 पर एक पुनर्दृष्टि- आलोक कुमार श्रीवास्तव
3 समाजवादियों और गोवा मुत्तिफ संघर्ष की अंतर्कथा के बारे में तीन खास खिड़कियाँ-आनंद कुमार
4 ग्रामीण भारत में पारिस्थितिक चिन्तन एवं सतत विकास: एक समालोचनात्मक दृष्टिकोण- विजयलक्ष्मी सक्सेना
खण्ड 2: भारतीय समाज के कुछ परिवर्तनशील आयाम और गतिशीलताएँ
5 महात्मा गाँध्ी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना एवं समावेशी विकास- अशोक पंकज
6 छत्तीसगढ़ राज्य में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति एवं चुनौतियों का एक विश्लेषण- अशोक पंकज एवं सुस्मिता मित्रा
7 ग्रामीण परिवेश में बिरहा लोकगीत: एक समाजशास्त्राीय विश्लेषण- देवी प्रसाद एवं सविता यादव
8 कन्या-धन एवं कोलाम स्त्रिायाँ: एक स्त्राीवादी एवं समाजशास्त्राीय विवेचन- पुष्पेश कुमार एवं अंजना सिन्हा
9 भूमण्डलीकरण एवं ग्रामीण जनस्वास्थ्य: परम्परा एवं आध्ुनिकता- सत्यम द्विवेदी
10 गैर-किसानीकरण, बुर्जु़आकरण एवं ग्रामीण मध्य वर्ग का विकास- सुप्रिया सिंह
11 आज के शहरी अध्ययनों पर पुनर्विचार- सुजाता पटेल
12 प्रमुख भारतीय किसान आंदोलन: एक ऐतिहासिक सर्वेक्षण- बी.एन. प्रसाद
13 भारत में विकास, अध्किारहीनता एवं जन-आंदोलन- मेध पाटकर
About the Author / Editor
आशीष वुफमार जवाहरलाल नेहरू वि श्वविद्यालय वेफ सामाजिक प्रणाली अध्ययन वेंफद्र में सहायक प्राध्यापक वेफ तौर पर कार्यरत हैं। हरियाणा वेंफद्रीय वि श्वविद्यालय वेफ समाजशास्त्रा विभाग से अपने अकादमिक जीवन की शुरुआत वेफ बाद से ही आशीष वुफमार विभिन्न भूमिकाओं में समाजशास्त्रा वेफ पठन-पाठन से जुड़े रहे हैं। भारतीय राजनीति, पर्यावरण, सामाजिक निगरानी जैसे विविध समाजशास्त्राीय मुद्दों पर इनकी गहन रुचि है। विशेष रूप से हिन्दी माध्यम से समाजशास्त्रा विषय से जुड़े छात्रों एवं शोधार्थियों वेफ लिए स्तरीय पठन सामग्री की उपलब्धता में दिलचस्पी होने वेफ कारण न सिर्पफ स्तरीय समाजशास्त्राीय लेखनों वेफ अनुवाद करने बल्कि ‘भारतीय समाजशास्त्रा समीक्षा’ जैसी पत्रिका वेफ उप-सम्पादक वेफ रूप में कार्य कर हिन्दी भाषी समाजशास्त्रिायों वेफ लिए स्तरीय प्रकाशन मंच मुहैया करने में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। आशीष वुफमार हिन्दी भाषा में कई प्रपत्रों वेफ लेखन वेफ साथ अंग्रेजी भाषा में ‘अंडरस्टैण्डिंग ग्लोबलाईजेशन इन ट्वेंटी पफर्स्ट सेंचुरी’ नामक पुस्तक का सम्पादन कर चुवेफ हैं।