About the Book
वर्तमान भारतीय समाज अब परम्परागत समाज नहीं रहा, बल्कि अब इसे आधुनिक समाज के रूप में देखा जाने लगा है। लेकिन विभिन्न नियोजित उपायों से आधुनिक समाज में आए व्यवस्था परिवर्तन अपनाए गए उपायों के परिणामों के नकारात्मक पक्षों को भी उजागर करते हैं। यदि आरक्षण नीति आज कार्यात्मक है और दो या तीन दशकों बाद विकार्यात्मक सिद्ध होती है, तब क्या शक्तिशाली अभिजन इसमें परिवर्तन कर सकेंगे? यदि समाज के कमजोर वर्ग, किसानों, महिलाओं और युवाजनों द्वारा चलाए गए आन्दोलनों को रोका नहीं जाता, तो सामाजिक असन्तोष को कैसे दबाया जा सकेगा? इस प्रकार के समस्त प्रकरणों के मूल्यांकन के लिए आवश्यक है कि भारतीय समाज को वर्तमान व उदीयमान समाजों के साथ प्रस्तुत किया जाये। इस पुस्तक में विभिन्न भारतीय सामाजिक व्यवस्थाओं के महत्वपूर्ण पक्षों का विश्लेषण एवं पुनरीक्षण समकालीन भिन्नताओं, उदीयमान तत्वों और भावी परिप्रेक्ष्य को दृष्टिगत रखकर किया गया है।
आशा है, यह पुस्तक समाजशास्त्र के स्नातकोत्तर छात्रों के साथ-साथ विभिन्न प्रतियोगी परिक्षाओं में सम्मिलित होने वाले छात्रों के लिये उपयोगी व ज्ञानवर्धक सिद्व होगी।
Contents
• भारतीय समाज का ऐतिहासिक परिदृश्य
• सामाजिक स्तरीकरण
• अनुसूचित जातियाँ, अस्पृश्यता और पिछड़ा वर्ग
• परिवार, विवाह और नातेदारी
• आर्थिक प्रणाली
• राजनैतिक व्यवस्था
• शैक्षिक व्यवस्था
• धर्म
• जनजातीय समाज
• ग्रामीण सामाजिक व्यवस्था
• नगरीय सामाजिक संगठन
• जनसंख्या गतिकी
• भ्रष्टाचार
• काला धन
• तस्करी
• सामाजिक परिवर्तन और आधुनिकीकरण
About the Author / Editor
राम आहूजा राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के समाजशास्त्र के भूतपूर्व प्राध्यापक हैं। उन्होंने अपने लम्बे व गहन शैक्षणिक व शोध अनुभव के आधार पर अनेक पुस्तकें लिखी हैं तथा विभिन्न पुस्तकों और पत्रिकाओं में लेख व शोध-पत्र प्रकाशित किये हैं। विभिन्न पुलिस अकादमियों और प्रशासकीय प्रशिक्षण संस्थाओं में वे पिछले दो दशकों से नियमित रूप से अतिथि-वक्ता रहे हैं। उनके रूचि के क्षेत्रों में अपराधशास्त्र, महिलाओं सम्बन्धी अध्ययन, राजनीतिक समाजशास्त्र व सामाजिक समस्याऐं प्रमुख हैं।