About the Book
प्रस्तुत पुस्तक में भारत में समाजशास्त्र द्वारा पिछली एक सदी में तय की गई यात्रा के विभिन्न पड़ावों और विशेष रूप से इस अनुशासन से जुड़े विभिन्न सरोकारों को प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। भारत में समाजशास्त्र के अभ्यास, इसकी व्यापकता एवं गहराई का परिचय देने में उपयोगी 15 आलेखों का पुस्तकाकार प्रस्तुतिकरण काफी संतोष की बात है।
भारतीय समाजशास्त्रीय चिन्तन से जुड़े कई पहलू हैं जिन्हें विषयवस्तु के हिसाब से विभाजित कर पुस्तक को तीन खंडों में प्रस्तुत किया गया है। इस पुस्तक के पहले खंड के लेखों का सरोकार भारत में समाजशास्त्र विषय के विकास से जुड़े विभिन्न पहलुओं से है। इस खंड में विशेष रूप से भारत में इस विषय के विकास के प्रक्षेपपथ के बारे में समझ बनाने पर फोकस किया गया है। पुस्तक के दूसरे खंड का सरोकार भारतीय समाज के अध्ययन के कुछ प्रमुख प्रक्षेत्रों को लेकर है। इस खंड में समाजशास्त्र के कुछ उप-अनुशासनों जैसे, पाठ्यपुस्तकों का समाजशास्त्र, साहित्य और समाजशास्त्र, अवकाश एवं पर्यटन का समाजशास्त्र, प्रतिरोध का समाजशास्त्र, कानून का समाजशास्त्र आदि पर आधारित लेखों का संकलन किया गया है। पुस्तक के तीसरे खंड में भारतीय समाजशास्त्र को मिल रही चुनौतियों एवं इसके भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा करने वाले लेखों को शामिल किया गया है। प्रस्तुत पुस्तक की संकल्पना और इसमें शामिल आलेखों का संकलन इस आधार पर किया गया है कि पाठक को भारत में एक अनुशासन के रूप में समाजशास्त्र के विकास से जुड़े विभिन्न सरोकारों की वृहद् दृष्टि प्राप्त हो सके।
Contents
भारतीय समाजशास्त्र: एक परिचय / आनंद कुमार एवं आशीष कुमार
खण्ड 1: भारत में समाजशास्त्र का विस्तार
1 भारत में समाजशास्त्र का विकास / भूपेंद्र कुमार नागला
2 भारत में समाजशास्त्र की शताब्दी यात्रा / आनंद कुमार
3 भारतीय समाजशास्त्रीय अनुसंधान में गुणात्मक विधि / जगदीश कुमार पंुढीर
4 भारतीय समाजशास्त्र का आंतरीकरण एवं स्थानीयकरण / सुकान्त कुमार चौधरी
खण्ड 2: भारतीय समाज अध्ययन के विशिष्ट सरोकार
5 समाजशास्त्र का भारतीय चिंतन और टॉलकट पारसंस: एक मूल्यांकन / विशेष गुप्ता
6 पाठ्यपुस्तकों का समाजशास्त्र: एक आलोचनात्मक विश्लेषण / राजीव गुप्ता
7 एक सदी का साथ: साहित्य और समाजशास्त्र / रेणु व्यास
8 अवकाश एवं धार्मिक पर्यटन समाजशास्त्र / विनय कुमार श्रीवास्तव
9 प्रतिरोध का समाजशास्त्र: सामूहिक क्रिया के नये उभरते पक्ष / नरेश भार्गव
10 कानून का समाजशास्त्र तथा कानूनी व्यवसाय: सांस्कृतिक-सैद्धान्तिक परिप्रेक्ष्य / के.एल. शर्मा
खण्ड 3: भारत में समाजशास्त्र - समस्याएं एवं सम्भावनाएं
11 भारत में विकास, विविधता एवं लोकतंत्र के विष्लेषण की चुनौती / प्रणब मुखर्जी
12 भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद: वादे और दुविधाएं / योगेन्द्र सिंह
13 भारत में समाजशास्त्रीय शोध कार्य: एक समीक्षा / विनय कुमार श्रीवास्तव
14 औपनिवेशिक आधुनिकता और पद्धतिशास्त्रीय राष्ट्रवाद: भारत में समाजशास्त्रीय परिपाटियों का व्यवस्थापन / सुजाता पटेल
15 दुनिया का सामना करता हुआ भारतीय समाजशास्त्र / ईश्वर मोदी
About the Author / Editor
आनंद कुमार समकालीन भारत के प्रखर समाजशास्त्री हैं और एक सक्रिय समाजशास्त्री के रूप में भारतीय समाज के सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक अध्ययनों में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। इनका अकादमिक जीवन बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, शिकागो विश्वविद्यालय एवं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से जुड़ा रहा है। सेवानिवृत्त होने के पश्चात भी प्रोफेसर आनंद कुमार ने भारत में समाजशास्त्र के पठन-पाठन और इसके विस्तार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
आशीष कुमार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सामाजिक प्रणाली अध्ययन केंद्र में सहायक प्राध्यापक हैं। हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग से अपने अकादमिक जीवन की शुरुआत के बाद से ही आशीष कुमार विभिन्न भूमिकाओं में समाजशास्त्र के पठन-पाठन से जुड़े रहे हैं। भारतीय राजनीति, पर्यावरण, सामाजिक निगरानी जैसे विविध समाजशास्त्रीय मुद्दों पर इनकी गहन रुचि है।