मेरा जीवन: संघर्ष और उपलब्धि (My Life: Struggle and Achievements)

के.एल. शर्मा (K.L. Sharma)

मेरा जीवन: संघर्ष और उपलब्धि (My Life: Struggle and Achievements)

के.एल. शर्मा (K.L. Sharma)

-20%796
MRP: ₹995
  • ISBN 9788131613351
  • Publication Year 2023
  • Pages 356
  • Binding Hardback
  • Sale Territory World

About the Book

जीवन जटिल होता है। जीवन के मार्ग टेढे़-मेढ़े होते हैं। जीवन की विकट समस्याओं का समाधान ढूंढ़ पाना आसान नहीं होता है। प्रस्तुत जीवनगाथा एक ऐसे व्यक्ति की है, जिसने जीवनपर्यन्त संघर्ष द्वारा असीम बाधाओं को परास्त कर अपनी सफलता का मार्ग प्रशस्त किया है।
लेखक ने इस जीवनगाथा में राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में दूरस्थ गांव के चित्रण को प्रस्तुत किया है। साथ ही, पुस्तक में गांव की सामाजिक संरचना, स्वयं के विकट और अभावग्रस्त बाल्यकाल, जातीय पृष्ठभूमि, गरीबी आदि का वर्णन मार्मिकता से भरपूर है। स्वयं के परिवार की दयनीय आर्थिक स्थिति से प्रारम्भिक शिक्षा से वंचित रहने के कारण जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों का उल्लेख एक निर्णायक कारक के रूप में अंकित किया गया है। उच्च शिक्षा प्राप्त करने की प्रक्रिया व आकांक्षा, एक विद्वान बनने की महत्वाकांक्षा और स्वयं को एक मान्य व्यक्तित्व बनाने के प्रयासों का सटीक वृत्तांत इस आत्मचिंतन प्रस्तुति की सराहनीय विशेषता है।
आत्मकथा के रचयिता प्रोफेसर के.एल. शर्मा समाजशास्त्र में एक सुपरिचित हस्ताक्षर हैं। पुस्तक में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के 32 वर्षों (1972-2003) की कहानी और उसके पूर्व के राजस्थान में शिक्षा और रोजगार हेतु संघर्ष की मार्मिक विवेचना की गई है। शिक्षा, शोध, शिक्षण, प्रशासनिक उत्तरदायित्वों, विदेशों में आमंत्रण और राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर, और जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी के कार्यकालों की धरातलीय वास्तविकता का लेखा-जोखा एक दर्पण है। लेखक के समकालीन साथियों, विद्यार्थियों और स्वयं के शिक्षक व मार्गदर्शक प्रोफेसर योगेन्द्र सिंह के बारे में चर्चा भी की गई है।
प्रस्तुत आत्मकथा लेखक के समग्र को दर्शाती है। फिर भी जीवन के कुछ पहलुओं पर प्रकाश नहीं डाला जा सका है। कुछ अनछुए बिन्दुओं के बारे में संकेत अवश्य दिये गये हैं। पुस्तक में सम्मिलित बीस अध्याय एक जीवनचक्र का प्रमाणिक ब्यौरा हैं। इस कहानी में वास्तविकता, पारदर्शिता और सत्यता का बेजोड़ उल्लेख है। पुस्तक शिक्षा जगत के प्रतिभागियों के लिए एक मार्गदर्शन सिद्ध हो सकती है।


Contents

1   क्या आवश्यकता है जीवनी और आत्म-जीवनी लिखने की?
2   मेरा गाँव
3   ब्राह्मण होने का आशय
4   मेरा संयुक्त एवं वृहद् परिवार
5   राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर में अध्ययन (1961-68)
6   जीवन में अनिश्चितता, अस्पष्टता और अस्थिरता (1968-1972)
7   मैं और प्रोफेसर योगेन्द्र सिंह
8   जे.एन.यू. का सामाजिक व्यवस्था के अध्ययन का केन्द्र     सी.एस.एस.एस. (समाजशास्त्रा विभाग)
9   जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में 32 वर्ष (1972-2003)
10  जे.एन.यू. में निजी और पारिवारिक जीवन
11  कॉलेज द फ्रांस, पेरिस में पाँच बार आमंत्रित (1991-2005)
12  अध्यापन और विद्यार्थी
13   विद्यार्थियों से जुड़ाव और परिवारजन का लगाव
14   राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के कुलपति का कार्यकाल
15   राजस्थान विश्वविद्यालय के चुनिंदा संस्मरण
16   कुलपति कार्यकाल के चुनिंदा संस्मरण
17   पब्लिक बुद्धिजीवी
18   जीवन: संबंधों का जाल
19   चुनिंदा वैयक्तिक संस्मरण
20   वर्तमान जीवन की कुछ झलक

प्रोफेसर शर्मा द्वारा प्रकाशित पुस्तकें


About the Author / Editor

प्रोफेसर के.एल. शर्मा समाजशास्त्र में एक सुपरिचित हस्ताक्षर हैं। शर्मा ने अपने जीवन की विकटता, जटिलता और दुर्गमता को वास्तविक दृष्टान्तों के साथ चित्रित किया है। लेखक ने लगभग 32 वर्ष तक जेएनयू, दिल्ली में अध्यापन व शोध कार्य किया। 1972-2003 के अन्तराल में आप ने 27 पुस्तकों और लगभग एक सौ आलेख प्रकाशित किए। जेएनयू में रेक्टर (समकुलपति), राजस्थान विश्वविद्यालय और जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी में कुलपति के पदों पर कार्य किया है।
शर्मा, विश्वविख्यात कॉलेज द फ्रांस, पेरिस में पांच बार आमंत्रित प्रोफेसर रहे हैं। आप ब्राजील, चीन, हॉलैंड, इंग्लैंड, जर्मनी, तीन अफ्रीकी देशों, बेल्जियम, आदि देशों में अकादमिक क्रियाओं के लिए आमंत्रित किए गए। शर्मा ने अमेरिका व फिनलैंड की यात्राएं भी की हैं। दिल्ली में एक पत्रिका ‘सामाजिक विमर्श’ का सम्पादन भी कर रहे हैं।
यद्यपि, शर्मा ने प्रकाशन मुख्यतः अंग्रेजी भाषा में किया है, परन्तु, उनकी प्रबल रुचि हिन्दी भाषा में लेखन की भी रही है। चार पुस्तकें हिन्दी भाषा में लिखने के अलावा लगभग 150 लेख हिन्दी के समाचारपत्रों व पत्रिकाओं में प्रकाशित किए हैं। शर्मा अपने पैतृक गांव में सामाजिक कार्यों में भी योगदान करते रहे हैं।


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