योगेन्द्र सिंह का समाजशास्त्र (YOGENDRA SINGH KA SAMAJSHASTRA – Sociology of Yogendra Singh) – Hindi

Amar Kumar

योगेन्द्र सिंह का समाजशास्त्र (YOGENDRA SINGH KA SAMAJSHASTRA – Sociology of Yogendra Singh) – Hindi

Amar Kumar

-15%149
MRP: ₹175
  • ISBN 9788170339779
  • Publication Year 2005
  • Pages 216
  • Binding Paperback
  • Sale Territory World

About the Book

प्रो. योगेन्द्र सिंह की कृतियों पर आधारित हिन्दी भाषा में यह प्रथम पुस्तक न केवल उनकी विभिन्न सामाजिक अवधारणाओं की समीक्षा है अपितु समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों और सामाजिक सरोकार पर मौलिक चिन्तन भी है। प्रमुख रूप से इसमें निम्नलिखित पुस्तकों में निहित सिद्धान्तों को सरल ढ़ंग से प्रस्तुत करने का प्रयास किया हैः
•    Modernization of Indian Tradition
•   Social Change: Crisis and Resilience
•   Culture Change in India: Identity and Globalization
•    Ideology and Theory in Indian Sociology
प्रस्तुत पुस्तक में आधुनिकीकरण, संस्कृतिकरण, पश्चिमीकरण, इस्लामीकरण तथा भूमंडलीकरण इत्यादि अवधारणाओं को न केवल भारतीय संदर्भ में बल्कि वर्तमान युग-बोध के साथ समझने का प्रयास किया गया है। योगेन्द्र सिंह ने समाजशास्त्र, मानवशास्त्र, राजनीतिशास्त्र और इतिहास इत्यादि विषयों के बीच सामंजस्य स्थापित करते हुए भारतीय समाज की व्याख्या परम्परागत रूप से लेकर आधुनिक रूप तक समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से की है। लेखक ने इस पुस्तक में योगेन्द्र सिंह के सिद्धान्तों की सकारात्मक समीक्षा करते हुए भारतीय समाज की व्याख्या समग्र रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। साथ ही, भारतीय संस्कृति, राष्ट्रवाद, नातेदारी, परिवार, ग्राम पंचायत एवं शिक्षा इत्यादि पहलुओं पर विचार प्रस्तुत करते हुए योगेन्द्र सिंह के सिद्धान्तों को उजागर करने का प्रयास किया गया है। आशा है, यह पुस्तक समाजशास्त्र के विद्यार्थियों के साथ-साथ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।


Contents

1 योगेन्द्र सिंह का बौद्धिक रुझान 
2 भारतीय परम्परा का आधुनिकीकरण 
3 भारत में सामाजिक परिवर्तन 
4 भारतीय संस्कृति एवं भूमंडलीकरण 
5 विचारधारा एवं सिद्धान्त 
6 सारांश


About the Author / Editor

अमर कुमार ने अपनी स्नातकोत्तर, एम.फिल एवं पीएच.डी. शिक्षा राँची विश्वविद्यालय, राँची से प्राप्त की। इनके चिन्तन और प्रस्तुतीकरण पर 
प्रो. योगेन्द्र सिंह का प्रभाव स्पष्टतः परिलक्षित है। अनेकों राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठिओं में भाग लेने वाले डाॅ. कुमार की सबसे बड़ी विशिष्ठता है, उनकी मौलिक चिन्तन पद्धति एवं सरल अभिव्यक्ति। आप भारतीय समाज को सम्पूर्ण ऐतिहासिक प्रक्रिया का स्वाभाविक विकास मानते हैं तथा वर्तमान समस्याओं को समझने और उनका समाधान निकालने का रास्ता भी दिखाते है


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