उच्चतर समाजशास्त्रीय सिद्धान्त (UCHCHATAR SAMAJSHASTRIYA SIDHANT – Advanced Sociological Theories) – Hindi

S.L. Doshi and M.S. Trivedi

उच्चतर समाजशास्त्रीय सिद्धान्त (UCHCHATAR SAMAJSHASTRIYA SIDHANT – Advanced Sociological Theories) – Hindi

S.L. Doshi and M.S. Trivedi

-15%1016
MRP: ₹1195
  • ISBN 9788170333180
  • Publication Year 1996
  • Pages 420
  • Binding Hardback
  • Sale Territory World

About the Book

समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों का इतिहास बहुत पुराना है। सुकरात से लेकर आज तक समाज की यथार्थता को जानने के लिये कई सिद्धान्तों का प्रतिपादन हुआ है। इन सभी सिद्धान्तों को समय की छलनी ने गहनता से छाना है। यह सब होने के उपरान्त भी आज कुछ सिद्धान्त ऐसे हैं जिनकी प्रासंगिकता आधुनिक समाज के लिये बरकरार है। ये सिद्धान्त वस्तुतः महान विचारों के भण्डार है। इनके निर्माण में वेबर, मार्क्स, दुर्खीम, पेरेटो, पारसन्स, मर्टन, आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों की वीथिका में हाल में कुछ नये सिद्धान्तों का सृजन भी हुआ है। क्रिटीकल समाजशास्त्र, रेडिकल समाजशास्त्र, पोस्ट मोडर्निटी, आदि समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों के नये क्षितिज हैं। इनके अतिरिक्त परम्परागत सिद्धान्तों में भी संरचनात्मक मार्क्सवाद, नवीन मार्क्सवाद, पोस्ट संरचनावाद आदि के संशोधित स्वरूप भी हमारे सामने आये हैं। हाल में दुनिया भर के समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों में एक नई दिशा देखने को मिली है। आज यह प्रयत्न किया जा रहा है कि विभिन्न सिद्धान्तों में किसी न किसी तरह एकीकरण स्थापित किया जाये। समाज को उसके समग्र या सम्पूर्ण रूप में देखा जाना चाहिये। इस तरह की बदलती हुई दिशा ने समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों के बारे में हमारी समझ को एक नया संदर्श दिया है।
प्रस्तुत पुस्तक में समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों के इस विशाल क्षितिज को समेटने का प्रयास किया गया है।


Contents

सामाजिक विचारः लोक कथा से विज्ञान तक
समाजशास्त्रीय सिद्धान्तः संरचना और अर्थ
समाजशास्त्रीय सिद्धान्त और आनुभविक अनुसंधान में पारस्परिकता
प्रकार्यवादी सिद्धान्त
सामाजिक क्रिया सिद्धान्तः पेरेटो, वेबर और पारसन्स
सामाजिक व्यवस्था सिद्धान्त
संदर्भ समूह सिद्धान्त
विसंगति
मिडिल रेंज सिद्धान्त
संघर्ष सिद्धान्त का उद्गमः कार्ल मार्क्स
संघर्ष सिद्धान्त और विश्लेषणात्मक समाजशास्त्र
विवेचनात्मक सिद्धान्त
सामाजिक विनिमय सिद्धान्त
विनिमय व्यवहारवादः जार्ज होमन्स का विनिमय सिद्धान्त
संरचनात्मक विनिमय सिद्धान्त: पीटर ब्लाॅ
विवेकी विकल्प सिद्धान्तः माइकेल हेशर
माइक्रो तथा मेक्ररो सिद्धान्तीकरण: एक सूत्र में बांधने का प्रयास
प्रतीकात्मक अन्तःक्रियावाद
फीनोमिनोलाॅजिकल सिद्धान्त
एथनोमेथडोलाॅजी (लोक विधि विज्ञान)
संरचना सिद्धान्त
भारत में समाजशास्त्रीय सिद्धान्त निर्माण
उत्तर संरचनावाद या नव संरचनावाद
रेडिकल (अतिवादी) समाजशास्त्र
उत्तर-आधुनिकतावाद


About the Author / Editor

शम्भू लाल दोषी ने साऊथ गुजरात विश्वविद्यालय, सूरत, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर तथा महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक में अध्यापन कार्य किया है। आपने अध्यापन के अतिरिक्त पर्याप्त अनुसंधान कार्य भी किया है। साथ ही सामाजिक परिवर्तन, स्तरीकरण तथा आदिम समाजों पर अधिकृत रूप से लिखा है। आपके कई अनुसंधान मोनोग्राफ भी प्रकाशित हुए हैं।

धुसूदन त्रिवेदी नई पीढ़ी के समाजशास्त्रियों में अग्रणी हैं। इन्होंने उद्यमशीलता, सामाजिक गतिशीलता एवं स्थानान्तरण तथा सामाजिक स्तरीकरण पर अनुसंधान कार्य किया है। वर्तमान में डा. त्रिवेदी सेंटर फार द रिसर्च आफ डेवेलपिंग वीकर सेक्शन्स, उदयपुर में सचिव एवं राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर के समाजशास्त्र विभाग में सह आचार्य तथा विभागाध्यक्ष हैं। 


Your Cart

Your cart is empty.