कार्ल मार्क्स: एक समाजशास्त्रीय दृष्टि

संपादक: परमजीत सिंह जज (PARAMJEET SINGH JUDGE)

कार्ल मार्क्स: एक समाजशास्त्रीय दृष्टि

संपादक: परमजीत सिंह जज (PARAMJEET SINGH JUDGE)

-20%1196
MRP: ₹1495
  • ISBN 9788131613573
  • Publication Year 2024
  • Pages 260
  • Binding Hardback
  • Sale Territory World

About the Book

प्रस्तुत पुस्तक समाजशास्त्र और अन्य सामाजिक विज्ञानों में कार्ल मार्क्स के योगदान के विभिन्न पहलुओं पर निबंधों का एक संग्रह है। उनके विचारों के ऐतिहासिक महत्व को इस तथ्य से स्वीकार किया गया है कि भारतीय समाज को समझने में अधिकांश लेखक विविध दृष्टिकोण वाले हैं।
तीन खंडों में विभाजित, यह पुस्तक मार्क्सवादी सिद्धांत के कुछ प्रासंगिक पहलुओं और इतिहास में इसके प्रभाव का एक वृहद् दृश्य प्रस्तुत करती है। उनके कार्यों की व्याख्या और आलोचनात्मक विश्लेषण के अलावा, भारतीय संदर्भ में मार्क्स की प्रासंगिकता की भी जांच की गई है। इसके अलावा, मार्क्सवादी सिद्धांत पर आलोचनात्मक दृष्टि डालने के लिए कुछ प्रमुख समाजशास्त्रियों का साक्षात्कार भी प्रस्तुत किया गया है। हिंदी भाषी क्षेत्रों के युवा समाजशास्त्रियों और शोधकर्ताओं के लिए यह पुस्तक अत्यंत उपयोगी होगी।


Contents

    परिचय: कार्ल मार्क्स . एक समाजशास्त्रीय दृष्टि / परमजीत सिंह जज
खण्ड 1: मार्क्स का वैचारिक विश्लेषण
1    कार्ल मार्क्स और उनका समाजशास्त्र / परमजीत सिंह जज
2    मार्क्सवाद एवं भारतीय समाजशास्त्र / बी.के. नागला
3    कार्ल मार्क्स, सहकारी मंडलियां एवं विकास / एन. राजाराम
4    मार्क्स में मनुष्य की अवधारणा / एन.के. महला
5    19वीं शताब्दी का भारत एवं मार्क्स की नजर / वासुदेव शर्मा
6    पूंजी के बारे में कुछ नए अध्ययन / गोपाल प्रधान
7    नव्य-मार्क्सवाद: एक व्याख्यात्मक विश्लेषण / गुरप्रीत बल
खण्ड 2: प्रासंगिक मुद्दे
8    मार्क्सवादी शिक्षा दर्शन और वर्तमान भारत / संदीप कुमार मील
9    कार्ल मार्क्स को समझना क्यों जरूरी है? / राजीव गुप्ता
10    सामाजिक न्याय की सैद्धांतिकी के मध्य महात्मा गांधी तथा मार्क्स: एक अध्ययन / पयोद जोशी
11    मार्क्सवाद में हिंसा की समस्या / आलोक कुमार श्रीवास्तव
12    मार्क्स की वापसी / रणधीर सिंह
मार्क्स के महत्वपूर्ण दस्तावेज
1    पूंजी के खि़लाफ़ श्रम विद्रोह: आर. लैंडर का कार्ल मार्क्स से साक्षात्कार
2    क्रांति पूरा राष्ट्र करता है, केवल पार्टी नहीं: ‘शिकागो ट्रिब्यून’ के संवाददाता का कार्ल मार्क्स से साक्षात्कार
3    संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन को सन्देश
4    बुर्जुआ और सर्वहारा
5    सर्वहारा और कम्युनिस्ट
6    वर्ग सम्बन्ध तथा वर्ग विचारधारा
7    मज़दूरी और पंूजी
8    साधारण पुनरुत्पादन


About the Author / Editor

परमजीत सिंह जज, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर में समाजशास्त्र के पूर्व प्रोफेसर हैं। पिछले चार दशकों से आप सक्रिय रूप से सामाजिक अनुसंधान में लगे हैं। उन्होंने सामाजिक आंदोलनों और विकास के राजनीतिक समाजशास्त्र, दलित अध्ययन और सामाजिक बहिष्कार, सामाजिक सिद्धांत और आधुनिकता के क्षेत्रों में काम किया तथा प्रकाशित किया है। आप इंडियन काउंसिल ऑफ सोश्यल साइंस रिसर्च, नई दिल्ली के डॉ. बी.आर. अम्बेडकर नेशनल फैलो रहे। आप इंडियन सोशियोलॉजिकल सोसायटी के अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं।


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