About the Book
आन्दोलन समाज के विकसित होने की प्रक्रिया में जन्म लेते हैं, अपनी तरह से अपने युग की समस्याओं को समझने और सुलझाने का सामूहिक प्रयत्न करते हैं और अन्ततः अपना दाय इतिहास को देकर समाप्त हो जाते हैं तब तक के लिए जब तक कि कोई दूसरा आन्दोलन जन्म न लें।
भारत जैसे विशाल, प्राचीन, बहुभाषीय, बहुल सांस्कृतिक और विभिन्न परिवेशीय देश में जन आन्दोलन के विविध रूप रहे हैं। उन्हें समग्र रूप से देखने का यह सम्भवतः प्रथम प्रयास है।
भारतीय सामाजिक आन्दोलनों का यह अध्ययन हमें कई चैंकाने वाले निष्कर्षों तक पहुँचाता है। जिन्हें हम अनपढ़, जंगली और असभ्य समझते रहे, जन-चेतना की चिनगारियाँ भी वहीं से फूटती रहीं और उनका नेतृत्व भी वहीं से उदित हुआ। यह एक स्मरणीय ऐतिहासिक सबक है जिसकी हमें भविष्य में आवश्यकता पडे़गी।
प्रस्तुत पुस्तक में सामाजिक आन्दोलनों का अध्ययन ऐतिहासिक और प्रादेशिक दोनों आधारों पर किया गया है। यह हमें बताता है कि हमारा प्रदेश और भाषाएँ चाहे जितनी भी अलग रही हों, हमारे दुःख, हमारी चिन्ताएँ, हमारे विचार एक से रहे हैं। इसके अतिरिक्त समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से प्रस्तुत यह अध्ययन अनेक नवीन शोध को भी आमंत्रित करता है।
आशा है, यह पुस्तक समाजशास्त्र के विद्यार्थियों के लिये उपयोगी एवं रूचिकर सिद्ध होगी।
Contents
• सामाजिक आन्दोलनों की सैद्घान्तिकी (Theorizing Social Movements)
• भारत में सामाजिक आन्दोलन (Social Movements in India)
• सामाजिक आन्दोलन और सामाजिक परिवर्तन (Social Movements and Social Change)
• सामाजिक पुनर्जागरण और सामाजिक सुधार आन्दोलन (Social Renaissance and Social Reform Movements)
• भक्ति आन्दोलन और सामाजिक सुधार (Bhakti Movement and Social Reforms)
• किसान आन्दोलन (Peasant Movement)
• पंजाब और बिहार में किसान आन्दोलन (Farmer’s Movements in Punjab and Bihar)
• उत्तर प्रदेश में किसान आन्दोलन (Farmer’s Movement in Uttar Pradesh)
• जनजातीय आन्दोलन (Tribal Movements)
• नक्सलवादी आन्दोलन (Naxalite Movement)
• श्रमिक आन्दोलन (Labour Movement)
• दलित आन्दोलन (Dalit Movement)
• महिला आन्दोलन (Women’s Movement)
• सम्पूर्ण क्रांति (Total Revolution)
• सर्वोदय आन्दोलन (Sarvodaya Movement)
• पर्यावरण जागरूकता आन्दोलन (Environmental Movement)
• भूमन्डलीकरण - एक परोक्ष आन्दोलन (Globalization - An Indirect Movement)
About the Author / Editor
वी.एन. सिंह, रीडर एवं अध्यक्ष, समाजशास्त्र विभाग, डी.बी.एस. (पी.जी.) कालेज (कानपुर विश्वविद्यालय), पद से सेवानिवृत। समाजशास्त्र में दो दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। सामाजिक एवं राजनैतिक समस्याओं पर सौ से अधिक लेख एवं अनेक शोध-पत्र प्रकाशित।
जनमेजय सिंह, एम.ए. प्रथम श्रेणी, प्रथम स्थान, कानपुर विश्वविद्यालय। प्रथम श्रेणी का शैक्षिक कैरियर एवं अनेक पुस्तकों के सह-लेखक।