आधुनिक भारत का समाज (Aadhunik Bharat ka Samaj - Society in Modern India) (Hindi)

जे.पी. सिंह (J.P. Singh)

आधुनिक भारत का समाज (Aadhunik Bharat ka Samaj - Society in Modern India) (Hindi)

जे.पी. सिंह (J.P. Singh)

-15%383
MRP: ₹450
  • ISBN 9788131610725
  • Publication Year 2019
  • Pages 526
  • Binding Paperback
  • Sale Territory World

About the Book

भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों के स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर व विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं, यथा - UPSC, PCS तथा UGC NET की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर इस पुस्तक की रचना एक स्तरीय पाठ्यपुस्तक के रूप में की गयी है। समाजशास्त्राय अवधारणाओं का प्रामाणिक अनुवाद और उनके विश्लेषण के साथ-साथ पाश्चात्य विद्वानों के नामों का सही उच्चारण इस पुस्तक की विशेषता है। आमतौर पर हिन्दी की पुस्तकों में न तो तकनीकी शब्दों का शुद्ध अनुवाद और न ही लेखकों के नामों का शुद्ध उच्चारण देखने को मिलता है।
अँगरेज़ी माध्यम से अध्ययन करनेवाले पाठकों की अपेक्षा हिन्दी माध्यम से पठन-पाठन करनेवाले पाठक ज्ञान की दृष्टि से पीछे न रहें, इस बात का ध्यान रखा गया है। अँगरेज़ी की नवीनतम उच्च स्तरीय पुस्तकों को आधार मानकर विभिन्न प्रकार के समाजशास्त्रीय तथ्यों को एकत्रित कर मौलिक विश्लेषण प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
प्रस्तुत पुस्तक विश्वसनीय समाजशास्त्रीय तथ्यों एवं सूचनाओं का रोचक भण्डार है। इसमें जटिल-से-जटिल तथ्यों को सहजता एवं सुगमता से प्रस्तुत किया गया है। प्रयास यही है कि इस पुस्तक के माध्यम से भारतीय संस्कृति तथा समाज के सम्बन्ध में पाठकों के बीच एक नयी समझ और दृष्टि उत्पन्न हो।


Contents

• भारत : एक संक्षिप्त परिचय
 आधुनिक भारत की मिश्रित संस्कृति
 भारत की जनांकिकीय परिदृश्य
 ग्रामीण-शहरी संयोजन एवं विभाजन
 पर्यावरण एवं समाज
 वैवाहिक प्रथा एवं तलाक
 संयुक्त परिवार का विघटन
 बाज़ार एक सामाजिक-आर्थिक संस्था के रूप में
 सामाजिक व्यवस्था : प्रभुत्व, सत्ता, कानून, विरोध, अपराध एवं हिंसा
 जाति एवं जनजाति-केन्द्रित सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार
 लिंग-भेद एवं विकलांगता-सम्बन्धी सामाजिक विषमता
 सांस्कृतिक विविधताएँ एवं चुनौतियाँ
 लोकतांत्रिक राजनीति एवं पंचायती राज व्यवस्था
 ग्रामीण समाज में विकास और परिवर्तन
 औद्योगिक क्रान्ति एवं सामाजिक परिवर्तन
 लोकसर्म्पक के माध्यमों का बदलता स्वरूप
 सामाजिक आन्दोलन
 मानवाधिकार
 वैश्वीकरण एवं सामाजिक परिवर्तन


About the Author / Editor

जे. पी. सिंह, एम.ए. (पटना विश्वविद्यालय); एम.फिल. (जे.एन.यू.); पीएच.डी. (ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, कैनबेरा, प्रोफेसर (सेवा-निवृत्त), स्नातकोत्तर समाजशास्त्र विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना। निदेशक (उच्च शिक्षा), बिहार सरकार तथा प्रो-वाइसचांसलर, पटना विश्वविद्यालय के रूप में योगदान का अनुभव। लेखक एक प्रख्यात समाजशास्त्री एवं जनसंख्याशास्त्री के रूप में जाने जाते हैं।


Your Cart

Your cart is empty.