BHARTIYA STREE: PARAMPARA EVAM AADHUNIKTA (HINDI) Indian Women: Tradition and Modernity

Pratibha Jain | Sangeeta Sharma

BHARTIYA STREE: PARAMPARA EVAM AADHUNIKTA (HINDI) Indian Women: Tradition and Modernity

Pratibha Jain | Sangeeta Sharma

-20%1036
MRP: ₹1295
  • ISBN 9788131613672
  • Publication Year 2024
  • Pages 334
  • Binding Hardback
  • Sale Territory World

About the Book

भारतीय नारी चिरपरिचित समर्पित पत्नी और वात्सल्यमयी माँ वेफ साथ ही वैराग्य की परंपरा में भिक्षुणी, एवं भक्त, गणिका वेफ रूप में स्वतन्त्रा नारी, अस्त्रा-शस्त्रा तथा शासन तंत्रा में प्रवीण वीरांगना, सामंती व्यवस्था में पराध्ीन और नियंत्रित, स्वतन्त्राता आन्दोलन में संघर्षरत सैनानी, साहित्य में सृजनशील, कलाओं में निपुण किन्तु इतिहास लेखन में अदृश्य रही है। प्रस्तुत पुस्तक में इन सभी पहलुओं की चर्चा की है तथा भारतीय स्त्राी वेफ यथार्थ और आदर्श वेफ साथ ही सम्पूर्ण पहचान वेफ लिए सामाजिक स्थितियों की विविध्ता को उजागर किया है। 
तीस से अध्कि वर्षों वेफ लंबे अंतराल वेफ बाद, ‘भारतीय स्त्राीः सांस्वृफतिक सन्दर्भ’ का नवीन संशोध्ति संस्करण पाठकों वेफ लिए प्रस्तुत है। महिलाओं वेफ इतिहास में रुचि रखने वाले शिक्षाविदों और छात्रों की माँग इसकी प्रेरणा रही और इसे अद्यतन कर नए शीर्षक ‘भारतीय स्त्राीः परंपरा और आध्ुनिकता’ वेफ साथ पाठकों वेफ लिये पुनः प्रस्तुत किया जा रहा है।


Contents

प्रथम खण्ड: अवधरणाएँ एवं श्रेणियाँ
भारतीय परम्परा में नारी की छविः एक मनन-गोविन्द चन्द्र पाण्डे
आदमी की निगाह में औरत ;कुछ नोट्सद्ध-राजेन्द्र यादव
नारीवाद: परिप्रेक्ष्य व सि(ान्त-नरेन्द्र कुमार सिंघी
द्वितीय खण्ड: ऐतिहासिक-सामाजिक परिदृश्य
प्रारम्भिक बौ( परम्परा में नारी-सुरेन्द्रनाथ दुबे
स्वतन्त्रा स्त्राी ;गणिका का वर्ण, स्वर्ध्म और पुरुषार्थ, भारतीय परम्परा की एक चुभती समस्याद्ध-मुकुन्द लाट
मध्यकालीन भारत में स्त्रिायाँः तुलनात्मक अध्ययन-वीरेन्द्र स्वरूप भटनागर
राजस्थान में सती प्रथा का निवारण ;1846-1988द्ध-विजय कुमार वशिष्ठ
मध्यकालीन राजस्थान: स्त्रिायों का सांस्कृतिक योगदान-चन्द्रमणि सिंह
चारण साहित्य में राजपूत नारी-वर्षा जोशी
भारतीय संस्कृतिक में वीरांगना प्रतिमान-राजन महान
भारतीय समाज में मुस्लिक स्त्राी की छविः एक समाज शास्त्राीय व्याख्या-सुशीला जैन
एक समान नागरिक संहिता एंव महिला अध्किार-आशा कौशिक
भारतीय पुनर्जागरण विशेष संदर्भः पंडिता रमाबाई-शिप्रा व्यास
इतिहास लेखन में अदृश्यः स्वतन्त्राता आन्दोलन में स्त्रिायाँ-प्रतिभा जैन व संगीता शर्मा
भारतीय स्त्राीः परम्परा एवं आध्ुनिकता-गांध्ीय दृष्टिकोण-प्रतिभा जैन
वैदिक युग में नारीः विकल्पों की तलाश-संगीता शर्मा
तृतीय खण्ड: साहित्यिक समीक्षा
महादेवी वर्मा और उनका नारी चिन्तन-मोहिनी शर्मा
हिन्दी उपन्यासों में नारी चेतना-सुदेश बत्रा
भारतीय नारी-संदर्भ कथा साहित्य का-प्रभा सक्सेना
चतुर्थ खण्ड: स्त्राीत्व के वैकल्पिक प्रतिमान
बौ( भिक्षुणी: नारीत्व, अध्यात्म एवं प्रतिनिधित्व-नीकी चतुर्वेदी
विद्रोहिणी मीरा एवं स्त्राीत्व की वैकल्पिक अवधरणा-प्रतिभा जैन व संगीता शर्मा
महिलाएँ और गांधी का रचनात्मक कार्यक्रम: राजपूताना राज्यों वेफ विशेष संदर्भ में-प्रतिभा जैन व संगीता शर्मा


About the Author / Editor

प्रतिभा जैन, राजस्थान विश्वविद्यालय में तीन दशक से अध्कि तक इतिहास अध्यापन एवं लेखन में संलग्न रही। गांध्ी चिंतन, भारतीय राष्ट्रवाद, महिला अध्ययन तथा हिंदी कथा साहित्य वेफ शोध् में कार्यरत रही हैं। साथ ही, राजस्थान विश्वविद्यालय में भारतीय इतिहास एवं संस्कृति विभाग की अध्यक्ष, महिला अध्ययन वेफन्द्र की निदेशक, गांध्ी अध्ययन वेफन्द्र की निदेशक एवं महारानी कॉलेज की प्राचार्य रही हैं।

संगीता शर्मा, राजस्थान विश्वविद्यालय में तीन दशक तक इतिहास अध्यापन एवं लेखन में संलग्न रही। महिला अध्ययन, भारतीय पुनर्जागरण, भारत विभाजन एवं राजस्थान अध्ययन उनवेफ शोध् वेफ क्षेत्रा रहे हैं। राजस्थान विश्वविद्यालय में भारतीय इतिहास एवं संस्वृफति विभाग की अध्यक्ष, राजस्थान अध्ययन वेफन्द्र की निदेशक, सिख अध्ययन वेफन्द्र की निदेशक एवं राष्ट्रीय एकता एवं सिख अध्ययन की श्री गुरु गोबिंद सिंह पीठ की अध्यक्ष रही हैं।


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