About the Book
भारत का समावेशी विकास और राष्ट्र निर्माण की यात्रा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत और सुदृढ़ हुआ है, साथ ही सतत् विकास के लक्ष्यों को एक तीव्र गति प्राप्त हुई है। नई शिक्षा नीति का मूल उद्देश्य भारत की शिक्षा प्रणाली को गुणवत्ता, समावेशिता, और नवाचारिता प्रदान करना है। यह नीति मात्र शिक्षा के परिवर्तन को ही अग्रहित नहीं करती है, बल्कि समावेशी समाज और राष्ट्र के निर्माण में एक अहम भूमिका प्रदान करती है। समावेशी विकास का एक मुख्य पहलू यह है कि शिक्षा सभी समाज के विभिन्न वर्गों के लिए आसानी से उपलब्ध हो, चाहेे वह किसी भी पृष्ठभूमि या सामाजिक प्रस्थिति से हों। यह शिक्षा नीति केवल शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रभाव डालती है। साथ ही यह नीति बहुल नवीन उपकरण जैसे बहुभाषा, लचीले शिक्षा मार्ग, और व्यावसायिक शिक्षा के माध्यम से शिक्षा को विभिन्न आवश्यकताओं के लिए अधिक से अधिक अभिगम्य बनाता है। हालांकि, एनईपी के माध्यम से समावेशी विकास को हासिल करना अपने आप में एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, जहां पहुंच, गुणवत्ता, और संरचना में असमानताओं का समाधान करना, साथ ही सभी स्तरों पर प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना, जैसी कुछ मुख्य बाधाओं को पार करना अत्यंत आवश्यक है। वहीं, नई शिक्षा नीति की पूरी क्षमता को साकार करने और भारत में समावेशी विकास को आगे बढ़ाने के लिए नवाचार और विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग भी जरूरी है। इसी संदर्भ में एनईपी 2020 से संबंधित समावेशी विकास के लिए चुनौतियों, नवाचारों और समावेश के लिए रणनीतियों का अन्वेषण महत्वपूर्ण हो जाता है। अतः प्रस्तुत विवेचनाओं को ध्यान में रखते हुए, संपादित पुस्तक इन विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान करती है। इस सन्दर्भ में प्रस्तुत पुस्तक विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा लिखित शोध निबंधों का एक संग्रह है, जो नई शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं का विस्तृत और गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है। इस पुस्तक का उद्देश्य एनईपी 2020 के माध्यम से भारतीय शिक्षा प्रणाली में आए परिवर्तनों को समझना और उनका मूल्यांकन करना है। यह पुस्तक शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण साहित्य है, जो शिक्षा के माध्यम से समावेशी और सतत् विकास को प्रोत्साहित करने के प्रयासों को समझने और उन्हें लागू करने में रुचि रखते हैैं।
Contents
भाग-1
प्रारंभिक अनुभाग
1 नई शिक्षा नीति एवं भारत का समावेशी विकास: संभावनाएँ, चुनौतियाँ एवं नवीनीकरण
मनीष के. वर्मा एवं रिया सिंह
भाग-2
नई शिक्षा नीति में वंचित वर्गों के समावेशी विकास की संभावनाएँ
2 राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: महिला सशक्तिकरण और सतत विकास लक्ष्य का विश्लेषण
राधिका सिंह
3 राष्ट्रनिर्माण, समतामूलक एवं समावेशी शिक्षा: डॉ. भीमराव अम्बेडकर के विचार
सनी कुमार
4 न्यायसंगत और समावेशी शिक्षा: अनुसूचित जाति के संदर्भ में
निशी यादव
5 महिलाओं पर नई शिक्षा नीति 2020 का प्रभाव
ज्योति रावत
6 अनुसूचित जनजाति में राष्ट्रीय शिक्षा नीति: थारू जनजाति के सन्दर्भ में
विभा कुमारी
भाग-3
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत उच्च शिक्षा में अवसर और चुनौतियाँ
7 उच्च शिक्षा तथा निर्देश के माध्यम का विद्यार्थियों पर प्रभाव: एक समाजशास्त्राीय अध्ययन
अलका गौतम
8 राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और उच्च शिक्षा का भविष्य
रोहित पटेल
9 नई शिक्षा नीति 2020: उच्च शिक्षा के संशोधित रूप की प्रासंगिकता का अध्ययन
धीरेन्द्र प्रताप सिंह गौर
10 राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: उच्च शिक्षा पर प्रभाव एवं चुनौतियों का एक समाजशास्त्राीय अध्ययन
कु. आरती एवं परविन्द्र कुमार
11 राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का समालोचनात्मक अध्ययन: उच्चतर शिक्षा में चुनौतियाँ एवं मुद्दे
मिथलेश कुमार एवं चंद्रबाला बाजपेयी
12 एन.ई.पी. 2020, सतत विकास एवं युवा: अवसर या चुनौती एक समाजशास्त्रीय विश्लेषण
चन्दन कुमार एवं अंजू
भाग-4
नई शिक्षा नीति: नवीनीकरण, समसामयिक मुद्दे और सतत विकास
13 सतत विकास लक्ष्य ;4द्ध एवं एन.ई.पी. 2020ः विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका
कृष्ण कान्त एवं स्मिता मिश्रा
14 नई शिक्षा नीति 2020: भारतीय भाषाओं के परिप्रेक्ष्य में विश्लेषणात्मक अध्ययन
शालिनी पाण्डेय
15 भारतीय सांस्कृतिक विविधता और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
जयशंकर शुक्ल
16 आजादी का अमृत महोत्सव, शिक्षा सतत विकास लक्ष्य एवं राष्ट्र निर्माण
निशा एवं सुरेन्द्र कुमार सिंह
17 सतत विकास लक्ष्य, शिक्षा एवं लैंगिक समानता: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भूमिका
नेहा श्रीवास्तव एवं आकांक्षा दीक्षित
About the Author / Editor
मनीष के. वर्मा, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर (केंद्रीय) विश्वविद्यालय, लखनऊ के अंबेडकर स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज और स्कूल ऑफ वोकेशनल एंड फ्यूचरिस्टिक स्टडीज के संकायाध्यक्ष तथा समाजशास्त्र विभाग में प्रोफेसर तथा विभागाध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं; साथ ही वर्तमान में वह भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद् (प्ब्ैैत्), नई दिल्ली के परिषद् सदस्य (2024-26) हैं। पूर्व में वह इंडियन सोशियोलॉजिकल सोसाइटी, नई दिल्ली के सचिव (2022-23) एवं प्रबंधन समिति के सदस्य (2016-21) रहें हैं। इन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से डॉक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त की है। इन्हें 25 वर्ष से अधिक का शिक्षण और अनुसंधान अनुभव हैै। इन्हांेने शैक्षणिक कार्य हेतु विभिन्न देषों जैसे स्वीडन, नॉर्वे, डेनमार्क, फिनलैंड, कनाडा, यू.एस.ए., ऑस्ट्रेलिया और नेपाल का भ्रमण किया है। वर्तमान में ये इंटरनेशनल सोशियोलॉजिकल एसोसिएशन के अनुसंधान समिति डब्ल्यू जी-05 (फेमीन एंड सोसाइटी) के बोर्ड सदस्य हैं। इनका मुख्य शोध विषय पर्यावरण और विकास से संबंधित है, जिसमें अनैच्छिक विस्थापन, शहरी पारिस्थितिकी, सामाजिक न्याय और वैश्वीकरण आदि क्षेत्रों में सूक्ष्म-स्तर के अध्ययन शामिल हैं।