About the Book
प्रस्तुत कृति में लेखक ने भूगोल के सर्वांगीण (
holistic)
दृष्टिकोण को अपनाया है जो ग्रामीण अधिवासों के अध्ययन के लिये न केवल
परिमाणात्मक वरन् गुणात्मक-विश्लेषणात्मक एवम् संश्लेषणात्मक उपागम की
अवधारणा में भी सक्षम है। इस पुस्तक में सांस्कृतिक भूगोल सम्बन्धी पाँच
मुख्य प्रतिपाद्य विषयों के प्रशस्त बिंब (
spectrum)
के अतिरिक्त निम्रलिखित सुस्पष्ट वर्ण्य विषय समाहित हैं: मानव अधिवास
प्रणाली, परिभाषा, विषय-वस्तु, उपागम, वर्गीकरण; भौगोलिक एवम सांस्कृतिक
पृष्ठभूमि; निवास विसरण प्रतिमान; स्थानिक कालिक प्रतिमान; स्थान नाम
व्याख्या; ग्राम एक इकाई; स्थल, स्थिति, स्थान निर्धारण एवम् अवस्थिति;
भारतीय ग्राम का अवयव संगठन, स्वरूप एवं प्रादेशिक गुण; ग्राम रूपान्तरण;
प्रकार एवं प्रतिरूप का वर्गीकरण; वितरण प्रतिरूप; आकारिकीय उद्भव एवं
वृद्धि; सामाजिक स्थानिक संरचना, जाति-कोटि निर्धारण; परिवर्तनशील संदर्श;
आकृति विश्लेषण; ग्रामीण गृह; सेवा केन्द्र एवं बाजार पदानुक्रम, कोटि-आकार
नियम, केन्द्रीयता; ग्रामीण अधिवासों का समाकलित नियोजन एवं युक्तिकरण।
इस
पुस्तक का अध्ययन स्वयंमेव लाभप्रद, उत्प्रेरक एवं अभिवृद्धि कारक होगा,
क्योंकि यह ग्रामीण अधिवास भूगोलवेत्ताओं, सांस्कृतिक भूगोलशास्त्रियों,
समाजशास्त्रियों, अर्थशास्त्रियों, इतिहासकारों, मानव विज्ञानियों, ग्रामीण
परिवेश के रूपान्तरण सम्बन्धी अध्येताओं तथा ग्रामीण विकास के आयोजकों में
स्वत: प्रवर्तित रूचि विकसित करने में सहायक सिद्ध होगी। साथ ही, लेखक का
परिपक्व, विद्वानोचित एवं उल्लेखनीय योगदान पाठकों में, चाहे वे स्नातक,
शोधकत्र्ता या अध्यापक हों, गहन शैक्षिक आत्मसंतुष्टिï तथा आकर्षण प्रदान
कर सकेगा।
Contents
• अधिवास भूगोल के मूलतत्त्व
(Rural Settlements: A Culturo-Environmental
Approach)
• सांस्कृतिक-ऐतिहासिक संदर्श
(Culturo-Historical Perspective)• ग्रामीण अधिवास-स्वरूप
(Rural Settlements)• प्रकार एवम् प्रतिरूप
(Types and Patterns of Settlements)• ग्रामीण अधिवास का वितरण प्रतिरूप
(Distributional Pattern of Rural Settlements)• आकारिकी
(Morphology)• आकृति विश्लेषण
(Shape Analysis)• ग्रामीण गृह
(Rural Dwellings)• ग्रामीण सेवा केन्द्र एवम् बाजार
(Rural Service Centres and Markets)• ग्रामीण अधिवासों का समाकलित नियोजन एवम् परिमेयकरण
(Integrated Planning and Rationalization of
Rural Settlements)
About the Author / Editor
रामयज्ञ सिंह (जन्म 1933 ई.) 1997 से दी यूनिवर्सिटी ऑफ जाम्बिया,
लुसाका में कार्यरत हैं। बी.डी.ओ. के पद पर सात वर्ष तक कार्यरत रहते हुए
ग्रामीण सामुदायिक विकास योजना एवम् ग्रामीण अधिवासों का विशेष अनुभव
प्राप्त किया है। डॉ. सिंह लगभग दो वर्ष तक अदिस अबाबा यूनिवर्सिटी
(इथोयोपिया) में भी असिस्टेन्ट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत रहे हैं। डा.
सिंह दी नेशनल ज्याग्राफिकल सोसाइटी ऑफ इन्डिया, वाराणसी, दी नेशनल
एसोसियेशन ऑफ ज्याग्रफर्स, इन्डिया (नागी) तथा 'दी नेशनल इन्स्टीच्यूट ऑफ
ज्योमार्फोलाजिस्ट्स, इलाहाबाद के सदस्य हैं।
प्रो. सिंह संप्रति
कामनवेल्थ ज्याग्रफिक ब्यूरो की प्रबन्ध समिति में पूर्वी अफ्रीका के
प्रतिनिधि हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं तथा संपादित पुस्तकों में प्रकाशित
शोध-पत्रों के अतिरिक्त इनकी अन्य कृतियां हैं: (1) प्लानिंग इन रूरल
इन्टीग्रेटेड एन्विरान्मेन्ट, एवम् (2) ज्याग्रफी ऑफ सेटिलमेन्ट्स।