About the Book
यद्यपि परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है। किन्तु मानव इतिहास में पिछले दो हजार वर्षों में इतने परिवर्तन नहीं हुये जितने कि विगत 200 वर्षों में हुए। जैसे विशाल पैमाने पर उत्पादन, वैज्ञानिक एवं प्राविधिक आविष्कार, विचारधाराओं एवं आदतों में आमूल परिवर्तन, सामाजिक सम्बल एवं सामरिक प्रकृति के विभिन्न आयामों पूर्ण रूपेण एवं अति वृहत परिवर्तन हुये हैं। फलस्वरूप नई समस्याऐं जनित हुई हैं। आज समाज कल्याण के भी प्राचीन क्षेत्रों में नवीन परिवर्तन एवं कुछ नवीन क्षेत्रों का अभ्युदय हुआ है। जैसे बाल कल्याण, युवा कल्याण, महिला कल्याण तथा वृहद कल्याण के क्षेत्र में संयुक्त परिवार के टूटने से नई समस्याऐं आ खड़ी हुई हैं। साथ ही उपभोक्ता संरक्षण तथा पर्यावरण जनित बहुत सी नई समस्याऐं भी उत्पन्न हो गई हैं। इन समस्याओं से निपटने में समाज कार्य की बहुप्रचलित विधियां जैसे वैयक्तिक सेवाकार्य एवं सामूहिक सेवाकार्य विशेष प्रभावशाली नहीं रह गये हैं। इस प्रकार के परिवर्तनों से निबटने के लिए समाज कार्य एक सक्षम संयंत्र की भांति प्रयुक्त हो सकता है। सामाजिक हस्तक्षेप के विज्ञान एवं कला के रूप में समाज कार्य ने बहुत से ऐसे प्रशिक्षित कार्यकर्ता दिए हैं जिन्होंने मानव मात्र की अनेक समस्याओं और मुद्दों में हस्तक्षेप कर उन्हें सुलझाने का प्रयास किया है। इस परिप्रेक्ष्य में समाज कल्याण एवं समाज कार्य के सम्बन्ध में एक नये सिरे से विचार करने की आवश्यकता है। इसी सम्बन्ध में प्रस्तुत पुस्तक की रचना की गई है। यह एक महत प्रयास है जो हिन्दी भाषा में समाज कार्य के उच्च स्तरीय कक्षाओं में अध्यापन करने वाले अध्यापकों एवं छात्रों के लिए उपयोगी होगा।
Contents
1 बाल विकास
2 घरेलू बाल मजदूर और समाज कार्य
3 महिला कल्याण
4 महिला सशक्तिकरण
5 युवा नीति और विकास कार्यक्रम
6 पिछड़ी जातियों एवं जनजातियों की समस्याएं
7 श्रम कल्याण एवं समाज कार्य
8 दिव्यांगों का कल्याण
9 चिकित्सकीय एवं मनोचिकित्सकीय समाज कार्य
10 ग्रामीण सामुदायिक विकास
11 सामाजिक सुरक्षा
12 उपभोक्ता संरक्षण
13 पर्यावरण: संरक्षण एवं संवर्धन
About the Author / Editor
बालेश्वर पाण्डेय एक लम्बी अवधि तक महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी में समाजकार्य के प्रोफेसर पद पर कार्यरत थे। इस दौरान ये सात वर्षों तक विभागाध्यक्ष एवं दो बार संकायाध्यक्ष रह चुके हैं। आप कई विश्वविद्यालयों में समाजकार्य के अतिथि प्रोफेसर भी रहे हैं। डॉ. पाण्डेय को तीन दशक से अधिक का शैक्षिक एवं शोध क्षेत्र में व्यापक अनुभव है। आप कई विश्वविद्यालयों के अध्ययन मण्डल, चयन समिति और शोध समिति के सदस्य भी रह चुके हैं। समाजकार्य एवं मानव संसाधन से सम्बन्धित आपके 22 उच्च स्तरीय ग्रन्थ प्रकाशित हैं।
तेजस्कर पाण्डेय उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित प्रांतीय सिविल सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हैं। इन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार तथा शासन के विभिन्न पदों पर कार्य किया है। आपने राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान (केन्द्रीय विश्वविद्यालय), लखनऊ कैंपस से ज्योतिषाचार्य की उपाधि प्राप्त की है तथा जुबली हॉल, दिल्ली विश्वविद्यालय में 1988-93 तक रेजिडेंट रहे हैं। आपने सामाजिक विकास से सम्बन्धित मुद्दों पर हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में कई लेख तथा 30 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं, जो विभिन्न प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गयी तथा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय हुई। समाज कार्य तथा ज्योतिष आपके लेखन का पसंदीदा विषय हैं। आपने समाजकार्य में परास्नातक की उपाधि भी प्राप्त की है।
दिनेश कुमार सिंह, सम्प्रत्ति लखनऊ विश्वविद्यालय के समाजकार्य विभाग में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. और डी.लिट. की उपाधि प्राप्त की है। इन्हें लखनऊ विश्वविद्यालय में कुल 33 वर्षों का शैक्षिक एवं प्रशासनिक अनुभव प्राप्त है और इनके द्वारा 70 से अधिक शोध छात्रों को पी.एच.डी. तथा 17 छात्रों को पोस्ट-डाक्टरल फेलोशिप में सफलतापूर्वक निर्देशन दिया गया है। ये समाजकार्य विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय में तीन वर्ष के लिए विभागाध्यक्ष भी रहे हैं, इनके द्वारा समाजकार्य के अंग्रेजी तथा हिन्दी में 30 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं एवं इन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2017 में शिक्षक श्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है। महिला सशक्तिकरण, आपदा प्रबंधन, सामाजिक विकास एवं सामाजिक सेवा प्रबंधन इनके लेखन एवं पाठन के पसंदीदा विषय हैं।