सामाजिक-सांस्कृतिक निरन्तरता एवं परिवर्तन (SAMAJIK SANSKRITIK NIRANTARTA AIVAM PARIVARTAN: Bhat Samuday Ka Adhyayan) – Hindi

दिनेश व्यास (Dinesh Vyas)

सामाजिक-सांस्कृतिक निरन्तरता एवं परिवर्तन (SAMAJIK SANSKRITIK NIRANTARTA AIVAM PARIVARTAN: Bhat Samuday Ka Adhyayan) – Hindi

दिनेश व्यास (Dinesh Vyas)

-15%638
MRP: ₹750
  • ISBN 9788131606292
  • Publication Year 2014
  • Pages 192
  • Binding Hardback
  • Sale Territory World

About the Book

समाज व संस्कृति में परिवर्तन एक नियमित प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया को समझने के लिए समाजशास्त्री विभिन्न प्रकार के समाज व समुदायों पर समय-समय पर अध्ययन करते रहे हैं। भारत में समाजिक परिवर्तन की प्रवृति में आधुनिकता व परम्पराओं का स्पष्ट समन्वय दिखाई देता है। समाज व संस्कृति में निरन्तर हो रहे परिवर्तनों को परखने के लिए समाजशास्त्री आरम्भ से ही समुदायों एवं जनजातियों के अध्ययन पर जोर देते आए है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के समुदायों एवं जनजातियों का निवास प्राचीनकाल से ही रहा है इसीलिए भारतीय परिप्रेक्ष्य में समाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तन का अध्ययन करने के लिए समुदायों एवं जनजातियों पर हुए अध्ययनों का उल्लेख करना आवश्यक है।
प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने राजस्थान के भाट समुदाय के समाजिक-सांस्कृतिक जीवन, परिवर्तन एवं समस्याओं का अध्ययन करने के साथ-साथ पूर्व में इस समुदाय पर कोई विस्तृत अध्ययन उपलब्ध न होने के अभाव को पूरा करने का प्रयास किया है। भाट समुदाय की भूमिका राजस्थान के सांस्कृतिक धरोहर को सुसज्जित रखने में बहुत महत्वपूर्ण रही है। यह समुदाय कठपुतली कला के प्रदर्शन द्वारा राजस्थान की लोक संस्कृति का बखान करता आया है तथा इस समुदाय ने राजस्थान की इस लोक कला एवं संस्कृति को आज भी जीवित रखा है। यह समुदाय राजस्थान में विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र भी है। इस पुस्तक में भाट समुदाय के सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन को दर्शाने के साथ इस समुदाय पर पड़ने वाले वैश्वीकरण एवं पश्चिमीकरण के प्रभावों एवं निरन्तर परिवर्तनों का सूक्ष्मता से विश्लेषण करने का प्रयास किया है। यह पुस्तक समाजशास्त्र के विद्यार्थियों व अध्यापकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।


Contents

1    सामाजिक-सांस्कृतिक निरन्तरता एवं परिवर्तन: एक परिचय    
2    परिचय एवं उपलब्ध साहित्य की विवेचना    
3    समग्र एवं पद्धतिशास्त्र
4    सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि    
5    सामाजिक-सांस्कृतिक संरचना    
6    परिवर्तन, समस्याएँ एवं विकास योजनाओं का प्रभाव    
7    सामाजिक मूल्य एवं अभिवृत्तियाँ    
8    खपत, कार्य व अवकाश प्रतिमान    
9    वैयक्तिक अध्ययन    
10  निष्कर्ष एवं विश्लेषण   


About the Author / Editor

दिनेश व्यास, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के समाजशास्त्र विभाग से पी.एच.डी. हैं एवं पूर्व में राजस्थान विश्वविद्यालय के सेन्टर फाॅर स्टडी आॅफ सोशल एक्सक्लूज़न एण्ड इन्क्लूज़िव पाॅलिसी में शोध सहायक के रूप में कार्य कर चुके हैं। इनके विभिन्न शोध-पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। ये विभिन्न राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में भाग ले चुके हैं। ये एक युवा लेखक के रूप में अपनी पहचान बना रहे हैं एवं वर्तमान में राजस्थान विश्वविद्यालय के समाज विज्ञान शोध केन्द्र में भारतीय समाज विज्ञान अनुसंधन परिषद् की प्रतिष्ठित पोस्ट डाॅक्ट्रल फैलोशिप पर कार्यरत हैं।


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