उत्तरआधुनिकतावाद (UTTARADHUNIKTAWAD – Postmodernism) – Hindi

भोला प्रसाद सिंह और रवि शंकर प्रसाद सिंह (Bhola Prasad Singh, Ravi Shankar Prasad Singh)

उत्तरआधुनिकतावाद (UTTARADHUNIKTAWAD – Postmodernism) – Hindi

भोला प्रसाद सिंह और रवि शंकर प्रसाद सिंह (Bhola Prasad Singh, Ravi Shankar Prasad Singh)

-15%234
MRP: ₹275
  • ISBN 9788131607572
  • Publication Year 2016
  • Pages 296
  • Binding Paperback
  • Sale Territory India Only

About the Book

आज सम्पूर्ण विश्व में उत्तरआधुनिकतावाद की चर्चा हो रही है। 1990 के दशक के दौरान पश्चिमी सामाजीय सांस्कृतिक चिंतन के क्षेत्र में एक सर्वथा नवीन वैचारिक परम्परा की शुरुआत हुई, जिसे उत्तरआधुनिकतावाद कहा जाता है। उत्तरआधुनिकतावाद वह बौद्धिक आन्दोलन है, जिसमें कला, साहित्य, समाज दर्शन, समाज विज्ञान, भाषा, भवन निर्माण इत्यादि शामिल हैं तथा यह उनमें होने वाले मूलभूत परिवर्तन का बोध कराता है।
उत्तरआधुनिकतावाद अपनी विशिष्ट मान्यताओं एवं दार्शनिक स्थापनाओं के साथ पश्चिमी चिंतन की सभी मान्यताओं का विकल्प प्रस्तुत कर रहा है। उसने पश्चिमी चिंतन एवं दार्शनिक सिद्धान्तों की सभी आधारभूत मान्यताओं और अवधारणाओं का खंडन कर उनकी जगह अपना विकल्प प्रस्तुत किया है। इसने सम्पूर्ण पश्चिमी चिंतन प्रणाली एवं प्रक्रिया को चुनौती देकर एक वैकल्पिक चिंतन प्रणाली और प्रक्रिया को स्थापित करने की कोशिश की है। उत्तरआधुनिकतावाद ने आधुनिक जीवन दृष्टिकोण एवं उस पर आधारित सभी राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं के अलावा उनके औचित्य को स्थापित करने वाली विचारधाराओं को भी चुनौती दी है।
प्रस्तुत पुस्तक का बिम्ब सीमित और स्पष्ट है। यह मूलतः सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में उत्तरआधुनिकतावाद के प्रभावों का आकलन करती है। यह पुस्तक इस बात पर भी विचार करती है कि उत्तरआधुनिकतावाद आधुनिक तर्कपूर्ण वैज्ञानिक मान्यताओं पर आधारित वैध ज्ञान, इतिहास की मान्यताओं तथा स्थापित समाजशास्त्रीय एवं राजनीतिक मान्यताओं का खंडन क्यों और किस प्रकार करता है। प्रस्तुत पुस्तक में विभिन्न अध्यायों के अंतर्गत उत्तरआधुनिकतावाद की स्थापना से लेकर उसकी समालोचना की चर्चा की गई है। संभवतः इस विषय-वस्तु पर हिन्दी में यह पहली पुस्तक है। हिन्दी पाठकों के लिए यह एक बोधगम्य तथा उपयोगी पुस्तक सिद्ध होगी, ऐसा विश्वास है।


Contents

•    उत्तरआधुनिकतावाद: एक परिचय
•    उत्तरआधुनिकतावाद के अग्रदूत
•    उत्तरआधुनिकतावाद में प्रयुक्त अवधारणाएं एवं शब्द
•    उत्तरआधुनिकतावाद के प्रमुख सिद्धान्तकार
•    उत्तरआधुनिकतावाद एवं विज्ञान
•    उत्तरआधुनिकतावाद एवं नारीवाद
•    उत्तरआधुनिकतावाद एवं बदलती जीवनशैली
•    उत्तरआधुनिकतावाद और तृतीय संसार के देश
•    उत्तरआधुनिकतावाद और सामाजिक विज्ञान
•    उत्तरआधुनिकतावाद की समालोचना


About the Author / Editor

भोला प्रसाद सिंह भागलपुर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर राजनीति विज्ञान विभाग में 2002 तक विभागाध्यक्ष एवं समाज विज्ञान में डीन के रूप में कार्यरत थे। 2004 से 2007 तक वे एल.एन. मिथिला विश्वविद्यालय में प्रतिकुलपति रहे हैं। तत्पश्चात् ये स्वतंत्र लेखन एवं चिंतन में अपना समय बिता रहे हैं।
रवि शंकर प्रसाद सिंह वर्तमान में जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज, जमशेदपुर में सहायक प्रोफेसर हैं। इन्होंने आधुनिक राजनीति विज्ञान एवं राजनीतिक समाजशास्त्र के क्षेत्र में अपनी कृतियाँ प्रकाशित की हैं और सम्प्रति राजनीतिक समाजशास्त्र पर पुस्तक लिख रहे हैं।


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