About the Book
प्रस्तुत पुस्तक में समसामयिक राजनीतिक चिन्तन के महत्वपूर्ण आयामों को प्रस्तुत किया गया है। 1971 में जाॅन राॅल्स की पुस्तक ए थियरी आॅफ जस्टिस के प्रकाशन से आदर्शात्मक राजनीतिक चिन्तन के पुनर्प्रतिष्ठित होने का आरम्भ माना जाता है। क्विंटन स्कीनर ने 1985 में प्रकाशित अपनी बहुचर्चित सम्पादित पुस्तक दी रिवाईवल आॅफ ग्रान्ड थियरी इन ह्यूमन साइन्सेज में आदर्शात्मक चिन्तन के पुनरुत्थान के प्रवर्तकों के विचारों को व्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत किया है। इस पुनरुत्थान के कारण पिछले कुछ वर्षों में देशभर के विश्वविद्यालयों ने राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रमों में परिवर्तन कर आधुनिक राजनीतिक चिन्तन के स्थान पर समसामयिक राजनीतिक चिन्तन को स्थान दिया गया है। इस पाठ्यक्रम में मूलतः उदारसमतावाद, समुदायवाद, इच्छास्वतन्त्रवाद, उत्तर आधुनिकता, ग्रीन थियरी, नारीवाद इत्यादि नई अवधारणाओं एवं चिन्तन की प्रवर्तियों को सम्मिलित किया गया है। परन्तु हिन्दी भाषी शिक्षकों एवं छात्रों को इस चिन्तन की स्पष्ट व्याख्या पुस्तक उपलब्ध नहीं है। मैं आशा करता हूं की यह पुस्तक इस अभाव को अंशतः पूरा करेगी। इस पुस्तक लेखन में समसामयिक राजनीतिक चिन्तन के प्रमुख प्रतिनिधियों के लेखों एवं पुस्तकों तथा उन पर लिखी प्रामाणिक पुस्तकों की सहायता ली गई है। यह हिन्दी भाषा में समसामयिक राजनीतिक चिन्तन पर एक समृद्ध विद्योचित अन्तर्वस्तु युक्त सन्दर्भ ग्रन्थ है।
Contents
1 राजनीतिक सिद्धान्त: एक परिचय
2 परम्परावाद
3 अस्तित्ववाद
4 उदार समतावाद
5 समुदायवाद
6 इच्छास्वातंत्रयवाद
7 उत्तर आधुनिकवाद
8 बहुसंस्कृतिवाद
9 नारीवाद
10 पारिस्थितिकी-विज्ञान
11 भूमण्डलीकरण
12 नागरिकता सिद्धान्त
13 प्रजातान्त्रिक सिद्धान्त
14 मार्क्सवादी सिद्धान्त
15 समसामयिक अवधरणाएं
About the Author / Editor
नरेश दाधीच वर्तमान में राजनीति विज्ञान विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है। प्रोफेसर दाधीच 1978 से विभाग में अध्यापन का कार्य कर रहे हैं तथा 36 वर्षों से अधिक समय से राजनीतिक चिन्तन के अध्ययन-अध्यापन से जुड़े हुए हैं। प्रोफेसर दाधीच 2006 से 2013 तक वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे हैं। आपने समसामयिक राजनीतिक चिन्तन विषय पर देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में आमन्त्रित व्याख्यान दिये। आप 2005 में प्रतिष्ठित फैलोशिप के अन्तर्गत साल्वे रेजिना विश्वविद्यालय, रोड आइलैण्ड, संयुक्त राज्य अमेरिका में विजिटिंग प्रोफेसर भी रहे। आपने 2003 में जाॅन राॅल्स के विचारों को हिन्दी में पहली बार पुस्तक जाॅन राॅल्स का न्याय का सिद्धान्त के माध्यम से प्रस्तुत किया।