About the Book
राजनीतिक समाजशास्त्र, समाजशास्त्र की एक विशिष्ट शाखा के रूप में उभरकर सामने आ रही है। आज के युग में राजनीति और समाज एक-दूसरे के पूरक हैं, क्योंकि ना तो राजनीति समाज के बिना संभव है और ना ही समाज राजनीति के बिना संचालित हो सकता है। दोनों ही एक-दूसरे को प्रभावित कर रहे हैं। प्रस्तुत पुस्तक मूल रूप से भारतीय संदर्भ में राजनीति और समाज के मध्य पारस्परिक सम्बन्धों का विश्लेषण है। इस पुस्तक में आध्ुनिक राजनीति से जुड़ी विभिन्न अवधारणाओं और घटनाओं का विश्लेषण किया गया है।
Contents
1 राजनीतिक समाजशास्त्रः अर्थ, परिभाषा एवं विषय-वस्तु
2 राजनीतिक समाजशास्त्र के विशिष्ट उपागम
3 राजनीतिक व्यवस्थाः प्रजातान्त्रिक एवं सर्वाधिकारवादी
4 राजनीतिक संस्कृति
5 राजनीतिक समाजीकरण
6 राजनीतिक अभिजनः समाज में शक्ति वितरण के सिद्धान्त
7 प्रबुद्धजन, दबाव समूह और हित समूह
8 अधिकारीतन्त्र/नौकरशाही
9 राजनीतिक दल
10 मतदान व्यवहार
11 जनमत
12 सामाजिक आंदोलन और नव सामाजिक आंदोलन
13 भारत में राजनीतिक प्रक्रियाएं
About the Author / Editor
पी.सी. जैन, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, समाजशास्त्र विभाग, ज.रा.ना. विश्वविद्यालय, उदयपुर में कार्य कर चुके हैं। आपको 35 वर्षों का स्नातक व स्नातकोत्तर कक्षाओं के अध्ययन एवं अनुसंधान का अनुभव है और आपके मार्गदर्शन में अनेक शोधार्थियों ने पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है। आपके रुचि के विषय सामाजिक आंदोलन, सामाजिक परिवर्तन व संस्तरण, जनजातीय अध्ययन इत्यादि हैं तथा आपकी इन विषयों से जुड़ी करीब बीस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।