About the Book
गांधी ने दक्षिण अफ्रीका तथा भारत को अपने कर्मक्षेत्र के रूप में चुना और यहाँ स्थापित विभिन्न आश्रम उनके विचार दर्शन की प्रयोगशाला बने। इन प्रयोगशालाओं में वे एक समाज वैज्ञानिक की भाँति समाज की समस्याओं के समाहार के लिए निरन्तर प्रयोग करते रहे तथा उन्होंने कई ऐसी प्रस्थापनायें एवं प्रविधियाँ विकसित की जिन्होंने न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाई अपितु उनके द्वारा विकसित विचारों एवं प्रविधियों को आधार बना कर विश्व के विभिन्न देशों ने स्वतंत्रता एवं अपने अधिकारों की प्राप्ति की। ये आश्रम विभिन्न सत्याग्रह आन्दोलनों के संचालन हेतु सत्याग्रहियों को तैयार करने के लिए प्रशिक्षण स्थलों के रुप में भी विकसित किये गये। आश्रमों में प्रशिक्षित स्वयंसेवक वास्तव में एक अमूल्य धरोहर सिद्ध हुए। इनके माध्यम से गांधी एक प्रतिबद्ध मानव संसाधन एकत्रित कर सके। इन्हीं आश्रमों ने ‘मोहनदास’ को ‘महात्मा’ बनाने में अभूतपूर्व योगदान किया है।
गांधी टॉलस्टॉय की इस विचारधारा से बहुत अधिक प्रभावित थे कि जिस प्रकार हिंसक युद्ध के लिए योद्धाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है, उसी प्रकार अहिंसक युद्ध के लिए भी योद्धाओं को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। सत्याग्रही को इस बात का पूर्ण प्रशिक्षण मिलना चाहिए कि किस प्रकार उसे अहिंसक युद्ध करना है। उसके साधन क्या हों और उन्हें किस प्रकार इन्हें प्रयोग में लाना है? गांधी के मत में हिंसक युद्ध तो अत्यन्त सरल होता है। इसके विपरीत अहिंसक युद्ध में सत्याग्रही को कष्ट सहन करने, त्याग एवं तपस्या करने तथा प्रतिपक्षी को मारने के बजाय स्वयं कष्ट सहते हुए स्वयं में मरने की क्षमता विकसित करनी होगी। इसलिए गांधी ने दक्षिण अफ्रीका तथा भारत में विभिन्न आश्रमों की स्थापना कर सत्याग्रहियों को सत्याग्रह करने सम्बन्धी कठोर प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की। इस प्रकार प्रस्तुत पुस्तक का प्रमुख प्रतिपाद्य गांधी द्वारा स्थापित विभिन्न आश्रमों का गांधी-विचार दर्शन की प्रयोगशालाओं तथा सत्याग्रहियों की प्रशिक्षणशालाओं के रुप में अध्ययन करना है।
Contents
• गांधी-आश्रमः अवधरणात्मक विवेचन
• पफीनिक्स सैटलमेण्ट
• टॉलस्टॉय पफॉर्म
• सत्याग्रह आश्रम (कोचरब)
• सत्याग्रह आश्रम (साबरमती)
• सेवाग्राम आश्रम
• आश्रमों में जीवन के विविध आयामों एवं विधाओं के साथ प्रयोग
• गांधी का समाज दर्शन
• गांधी का आर्थिक-दर्शन
• गांधी का राज-दर्शन
• गांधी एवं धर्मनिरपेक्षता
• गांधी दर्शन में ग्राम स्वराज की अवधारणा
• सार-संक्षेप
About the Author / Editor
बी.एम. शर्मा, राजस्थान लोक सेवा आयोग, अजमेर के अध्यक्ष तथा कोटा विश्वविद्यालय, कोटा के कुलपति रहे हैं। आप मूलतः राजस्थान विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग में लगभग 38 साल से अधिक समय तक अध्यापन से जुड़े रहे हैं। आप राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष तथा समाज विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता (Dean) रहे हैं। आप राजस्थान विश्वविद्यालय में प्रशासनिक सेवा पूर्व प्रशिक्षण केन्द्र तथा समाज विज्ञान शोध केन्द्र के निदेशक रहे हैं। आप राजस्थान विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद् (Executive Council) ‘सिण्डीकेट’ तथा ‘सीनेट’ के भी सदस्य रहे हैं। आप भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, नई दिल्ली के ‘उपाध्यक्ष’ तथा कार्यकारी परिषद् के सदस्य रहे हैं।
आपकी लगभग दो दर्जन से अधिक पुस्तकें तथा अनेक शोध-पत्र एवं लेख अन्तरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय शोधपत्रों एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। गांधी पर आपकी दो पुस्तकें Mahatama Gandhi and His Philosophy तथा गांधी दर्शन के विविध आयाम प्रकाशित हो चुकी हैं। आपको गोविन्द वल्लभ पंत, सरदार वल्लभ भाई पटेल एवं बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।