About the Book
संघवाद का अभिप्राय केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकारों के मध्य विधयी, वित्तीय और कार्यकारी शक्तियों का विवेकसम्मत विभाजन है ताकि प्रत्येक सरकार अपने क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से कार्य कर सके। भारत जैसे देश में संघवाद का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यहाँ वैविध्यपूर्ण पृष्ठभूमि और संस्कृति के लोग एक साथ रहते हैं। आधुनिक युग में संघवाद दो अलग-अलग प्रवृत्तियों - साझा हितों की बढ़ती सीमा और स्थानीय स्वायत्तता की आवश्यकता के बीच सामंजस्य का सिद्धान्त है।
प्रस्तुत पुस्तक एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में किये गए गंभीर बौद्धिक विमर्श के चयनित लेखों का सम्पादित संग्रह है। यह पुस्तक, केन्द्र-राज्य सम्बन्धों को आकार देने वाले संवैधानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कारकों, राजनीतिक दल, बहुदलीय व्यवस्था और गठबंधन सरकारों का संघीय व्यवस्था पर प्रभाव, नीति आयोग, वस्तु एवं सेवा कर, वित्त आयोग तथा कोविड-19 महामारी का संघीय व्यवस्था पर प्रभाव जैसे कई महत्वपूर्ण पहलुओं, जिन्होंने एक जीवंत अकादमिक बहस को जन्म दिया है, का प्रभावकारी विश्लेषण करती है। यह पुस्तक भारत जैसे जटिल और विविधताओं से भरे हुए समाज के लिए लोकतंत्र की सपफलता और राष्ट्र की एकता के लिए संघवाद के मूलभूत मूल्यों को रेखांकित करती है तथा भारतीय संघवाद के विभिन्न पक्षों पर सूक्ष्म स्तर से लेकर व्यापक स्तर पर कार्य कर रहे अध्येताओं के बौद्धिक और अकादमिक विमर्श को जगह देती है।
पुस्तक को एक सुस्पष्ट संपादकीय परिचय से आरंभ करते हुए 18 शोधपरक आलेखोें को चार भागों- (1) संघवाद की वैचारिकी एवं सामयिकी, (2) सहकारी संघवाद, विकेन्द्रीकरण, समन्वय एवं सहकार, (3) केन्द्र-राज्य संबंध, और (4) वित्तीय संघवाद के शीर्षकों में विभाजित किया गया है। भारतीय संघवाद के समकालीन विमर्श पर आधरित यह पुस्तक अकादमिक सृजन की अनवरत धारा में कुछ नया जोड़ने का विनम्र प्रयास है। यह पुस्तक शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं, योजनाकारों, शिक्षाविदों, राजनीतिक प्रतिनिधियों, मीडियाकर्मियों और भारतीय राज व्यवस्था और विशेषकर केन्द्र-राज्य सम्बन्धों से सरोकार रखने वाले सभी पाठकों के लिए अत्यधिक रुचिकर आगत होगी।
Contents
भारतीय संघवाद का बदलता हुआ समकालीन सन्दर्भ: एक सामयिक परिचयात्मक विश्लेषण
यतीन्द्रसिंह सिसोदिया, उदय सिंह राजपूत एवं पुष्पेन्द्र कुमार मिश्र
भाग प्रथम: संघवाद की वैचारिकी एवं सामयिकी
भारतीय संघवाद का बदलता स्वरूप: समस्याएँ और चुनौतियाँ
रेखा सक्सेना
संघवाद का दार्शनिक आधार: भारत का विकासवादी संविधानवाद और सहयोगी संघवाद
उत्तम सिंह चौहान
भारतीय संघीय व्यवस्था का वर्तमान सन्दर्भ और सामयिक चुनौतियाँ: एक विश्लेषण
यतीन्द्रसिंह सिसोदिया एवं माधव प्रसाद गुप्ता
भारतीय संघात्मक व्यवस्था में केंद्रीयकरण 2014 के उपरांत
अनुराग रत्न
भाग द्वितीय: सहकारी संघवाद, विकेंद्रीकरण, समन्वय एवं सहकार
सहकारी संघवाद: एक दार्शनिक दृष्टि
राजीव सक्सेना
भारतीय संघवाद का विकसित होता विन्यास
विजय शंकर चौधरी
भारत में प्रतिस्पर्धी और सहकारी संघवाद का विश्लेषण
स्वीटी सिन्हा
भारत में विकेंद्रीकृत राजनीतिक संस्थान: सामाजिक समावेशन एवं सशक्तिकरण
नलिन सिंह पंवार
भारत में सहकारी संघवाद की उभरती प्रवृत्तियाँ: एक अध्ययन
उमा यादव
भाग तृतीय: केन्द्र-राज्य सम्बन्ध
भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में केंद्र व राज्य के सम्बन्धों में मध्यस्थता: एक परिचर्चा
प्रतिमा भारद्वाज
स्वास्थ्य आपातकाल और भारतीय संघवाद: कोविड-19 महामारी के विशेष सन्दर्भ में
शान्तेष कुमार सिंह एवं राधा
भारतीय संघात्मक शासन प्रणाली की स्वास्थ्य सेवाएं और 168 कोविड-19 के संदर्भ में विश्लेषण
नावेद जमाल एवं शाईस्ता
राजनीतिक दल और भारतीय संघवाद
राजीव कुमार सिंह एवं अक्षत पुष्पम्
भाग चतुर्थ: वित्तीय संघवाद
भारत में प्रतिस्पर्धी वित्तीय संघवाद और क्षेत्रीय असमानताएं: चुनौतियां और संभावनाएं
गिरेन्द्र शर्मा
संघवाद और सामाजिक नीति के क्रियान्वयन के फलक
आराधना कुमारी
भारतीय संघवाद: सहयोग एवं संघर्ष के विभिन्न परिप्रेक्ष्य
पलक सिंह
संवैधानिक गतिशीलता के आलोक में वित्तीय संघवाद का बदलता स्वरूप
पीयूष त्रिपाठी एवं अमित भूषण द्विवेदी
About the Author / Editor
यतीन्द्रसिंह सिसोदिया सम्प्रति म.प्र. सामाजिक विज्ञान शोध संस्थान, उज्जैन (भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली का स्वायत्त शोध संस्थान) के निदेशक हैं। आपके अनुसंधान की प्राथमिकता के क्षेत्रों में लोकतंत्र, विकेन्द्रीकृत अभिशासन, चुनावी राजनीति, आदिवासी और विकासात्मक मुद्दे हैं। आपको प्रोपेफसर जी. राम रेड्डी सामाजिक वैज्ञानिक पुरस्कार (2017) से सम्मानित किया गया है। आपने 22 पुस्तकों का लेखन/संपादन किया है और आपके प्रतिष्ठित समीक्षित अनुसंधान जर्नल्स सहित लगभग 100 शोध आलेख प्रकाशित हैं। आप मध्य प्रदेश जर्नल ऑफ सोशल साइंसेज और मध्य प्रदेश सामाजिक विज्ञान अनुसंधान जर्नल के संपादक हैं। आपने विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों, राज्य मंत्रालयों, आईसीएसएसआर, योजना आयोग और इसरो जैसे संगठनों के लिए कई वित्त पोषित अनुसंधान परियोजनाओं को पूरा किया है।
उदय सिंह राजपूत 2008 से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक, मध्य प्रदेश के राजनीति विज्ञान एवं मानवाधिकार विभाग में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। आपके अध्ययन की रुचि के क्षेत्र जनजातीय विकास, पंचायती राज संस्थाएं और नागरिक समाज रहे हैं तथा इन विषयों पर आपकी चार पुस्तकें एवं कई शोध आलेख विभिन्न प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। आपने जनजातीय समुदायों से संबंधित आईसीएसएसआर द्वारा वित्त पोषित तीन शोध परियोजनाओं पर काम किया है।
पुष्पेन्द्र कुमार मिश्र 2017 से देवनागरी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गुलावठी (बुलंदशहर) उ.प्र. के राजनीति विज्ञान विभाग में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी अभिरुचि का क्षेत्र ग्रामीण विकास, पंचायती राज, अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति और महिला विकास हैं। अपने क्षेत्र में आपकी तीन पुस्तकें एवं अनेक शोधलेख विभिन्न प्रतिष्ठित शोध पत्रिकाओं/समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुके हैं।