बहुसंस्कृतिवाद एवं सामाजिक न्याय (BAHUSANSKRITIWAD AIVAM SAMAJIK NYAYA – Multiculturalism and Social Justice) – Hindi

राखी सिंह (Rakhi Singh)

बहुसंस्कृतिवाद एवं सामाजिक न्याय (BAHUSANSKRITIWAD AIVAM SAMAJIK NYAYA – Multiculturalism and Social Justice) – Hindi

राखी सिंह (Rakhi Singh)

-15%846
MRP: ₹995
  • ISBN 9788131606629
  • Publication Year 2014
  • Pages 208
  • Binding Hardback
  • Sale Territory World

About the Book

यह एक आश्चर्यजनक सत्य है कि पिछले पचास वर्षो में विश्व के संपूर्ण संघर्षों में से लगभग पचास प्रतिशत संघर्ष सांस्कृतिक प्रकृति के रहे हैं। यह इस दावे को समर्थन देता है कि पिछले पचास वर्षों में संस्कृतियों का प्रभुत्व रहा है। इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि इसके पहले संस्कृतियों का कोई महत्व नहीं था परन्तु इसका यह अर्थ जरूर है कि पिछले पचास वर्षों के समय-काल में संस्कृतियों का उपयोग सामाजिक एवं राजनीतिक समस्याओं एवं संस्थाओं के विश्लेषण में एक महत्वपूर्ण अवयव के रूप में किया जाने लगा। अब मानवता के निर्माण में संस्कृति के महत्व को पहचाना गया और सामाजिक समस्याओं के समाधान के रूप में संस्कृतियों के सामर्थ्य को लेकर अनेक परिवाद प्रांरभ हुए। समाज के विभिन्न समस्याओं के संदर्भ में सांस्कृतिक पहचान एवं सांस्कृतिक असमानता को आधारभूत कारण माना जाने लगा। बहुसंस्कृतिवाद संस्कृतियों की समानता एवं पहचान हेतु एक वैचारिक आन्दोलन है।
सामाजिक न्याय, समाज के लिए एक अपेक्षित एवं आवश्यक अवधारणा है। सामाजिक न्याय की अनुपस्थिति सामाजिक बहिष्करण को जन्म देती है। सामाजिक बहिष्करण सामाजिक समरसता एवं सद्भाव को क्षति पहुँचाता है तथा लोकतंत्र को कमजोर करता है। सांस्कृतिक असमानता सामाजिक न्याय के प्रतिकूल होती है परन्तु बेशर्त समानता भी कभी-कभी सामाजिक न्याय के विपरीत हो जाती हैै। अतः बहुसंस्कृतिवाद सामाजिक न्याय के अनुकूल एवं प्रतिकूल दोनों ही हो सकता है।
वर्तमान पुस्तक में बहुसंस्कृतिवाद एवं सामाजिक न्याय के इन्हीं गतिमानों के व्याख्या की कोशिश की गयी है। सहयोगी अवधारणाओं के व्याख्या की सहायता से बहुसंस्कृतिवाद को सामाजिक न्याय की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में स्थापित करने हेतु उपलब्ध तर्कों का परीक्षण इस पुस्तक का उद्देश्य है।


Contents

1.    विषय संदर्भीकरण
2.    बहुसंस्कृतिवाद: अवधाराणात्मक विकास एवं सैद्धान्तिक समझ 
3.    सामाजिक न्याय: सामाजिक समानता की संभावनाओं की खोज
4.    पहचान, राष्ट्रवाद एवं लोकतंत्र
5.    बहुसंस्कृतिवाद एवं नारीवाद : अवधारणात्मक तनाव
6.    बहुसंस्कृतिवाद एवं मानवाधिकार: सामंजस्य की समस्या
7.    बहुसंस्कृतिवाद एवं सामाजिक न्याय: संबंधों का मूल्यांकन


About the Author / Editor

राखी सिंह ने बी.ए., एम.ए. एवं पी.एच.डी की उपाधी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से प्राप्त की। आपके अनेक शोध-पत्र राष्ट्रीय शोध-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। वर्तमान में आप डी.ए.वी. पी.जी. काॅलेज, वाराणसी में राजनीति विज्ञान पढ़ा रही हैं।


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