About the Book
डॉ. बाबासाहब भीमराव अम्बेडकर सच्चे भारत भक्त थे। भारत का नवनिर्माण एवं सामाजिक उत्थान उनकी आत्मा थी। उन्होंने भारत की एकता, समरसता तथा सम्पन्नता की नींव को मजबूत करने के लिए जाति व्यवस्था पर चौतरफा प्रहार करते हुए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने भारतीय जाति व्यवस्था को भारतीय समाज का सबसे बड़ा कलंक बताया। जाति व्यवस्था में उनकी वैयक्तिक विषमताओं तथा सैद्धान्तिक रुचि ने उन्हें भारतीय सामाजिक संरचना में जाति व्यवस्था की भूमिका पर चिंतन करने के लिए प्रेरित किया।
डॉ. अम्बेडकर का मत था कि आदर्श सामाजिक व्यवस्था न्याय, स्वतंत्रता, समानता तथा बंधुता पर आधारित होनी चाहिए। उनका यह विश्वास था कि यदि हम सामाजिक जीवन में लोकतंत्र की स्थापना नहीं कर पाते तो राजनीतिक जीवन में लोकतंत्र लंबे समय तक नहीं टिका रह सकता। सामाजिक एवं आर्थिक लोकतंत्र के अभाव में राजनीतिक लोकतंत्र छलावा है। व्यक्ति में समानता केवल राजनीतिक समानता से सार्थक नहीं बनाई जा सकती है। जब तक सामाजिक और आर्थिक समानता की स्थापना नहीं हो जाती तब तक समानता अधूरी ही रहेगी। इसके लिए उन्होंने समाज के कमजोर तबकों को ‘शिक्षित बनो, संगठित रहो एवं संघर्ष करो’ के लिए प्रेरित किया।
प्रस्तुत पुस्तक में भारत की वर्तमान दशा तथा डॉ. अम्बेडकर की जीवन गाथा तथा व्यक्तित्व के विविध आयामों का सूक्ष्म, विस्तृत तथा गहन विश्लेषण व मूल्यांकन किया गया है। आधुनिक भारतीय समाज में इनके विचारों की प्रासंगिकता की विशद विवेचना भी की गई है।
Contents
अनुक्रमणिका
1 भारतीय समाज, संविधान एवं डॉ अम्बेडकर का सामाजिक दर्शन
अरुण कुमार
2 डॉ अम्बेडकर का सामाजिक चिंतन
गोपाल कुमार सिंह
3 समता और न्याय के लिए संघर्ष: डॉ अम्बेडकर का योगदान एवं उत्तर अम्बेडकर परिदृश्य
आर.एस. त्रिपाठी
4 डॉ अम्बेडकर का आर्थिक चिंतन
कुमुद श्रीवास्तव
5 डॉ अम्बेडकर की पत्रकारिता
विद्या शंकर विभूति
6 समतामूलक समाज की अवधारणा में डॉ अम्बेडकर की प्रतिस्थापना
डी.एन. प्रसाद
7 डॉ अम्बेडकर महिला सशक्तीकरण के पुरोधा
प्रदीप बागड़े
8 डॉ अम्बेडकर का सामाजिक-आर्थिक विचार एवं दर्शन
दत्तात्रेय पालीवाल
9 सामाजिक संदर्भों में डॉ अम्बेडकर का शैक्षिक चिंतन
अन्तिमबाला पाण्डेय
10 सामाजिक न्याय एवं सामाजिक क्रंाति के प्रणेता डॉ अम्बेडकर
सीमा पाठक
11 समतामूलक समाज, जाति और धर्म: डॉ अम्बेडकर का योगदान
दीपिका गुप्ता
12 भारतीय संविधान और अंतर्विरोध के आयाम
एन.पी. प्रजापति
13 डॉ अम्बेडकर का आर्थिक दर्शन
सुमन पुरवार एवं साधना जैन
14 वर्ण, जाति, धर्म व नारी उत्थान में डॉ अम्बेडकर की उपादेयता
सुषमा श्रीवास्तव
15 मानवता के सच्चे साधक डॉ अम्बेडकर
अरुण कुमार वर्मा
16 डॉ अम्बेडकर की दृष्टि में दलितोत्थान हेतु लोकतांत्रिक समाज व्यवस्था आवश्यक
हरिमोहन धवन
17 भारतीय संविधान में धर्म-निरपेक्षता/पंथनिरपेक्षता और डॉ अम्बेडकर
रमा पांचाल
18 भारतीय संविधान के पिता के रूप में डॉ अम्बेडकर
राजेश ललावत
19 भारतीय समाज के दलित उत्थान में डॉ अम्बेडकर की भूमिका
कमलेश अहिरवार
20 डॉ अम्बेडकर का सामाजिक-आर्थिक विचार एवं दर्शन का अध्ययन
संध्या बघेल एवं रश्मि श्रीवास्तव
21 भारतीय समाज में दलितों के उत्थान में डॉ अम्बेडकर की भूमिका
रमेश एच. मकवाना
22 सामाजिक समरसता एवं भारत का संविधन तथा डॉ अम्बेडकर
कुसुम मेघवाल
23 डॉ अम्बेडकर का जातिविहीन, समता मूलक समाज एवं आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक न्याय
हरिकृष्ण बड़ोदिया
24 भारतीय समाज के नवनिर्माण में डॉ अम्बेडकर का योगदान
शैलेन्द्र पाराशर
25 डॉ अम्बेडकर के आर्थिक विकास में महिलाओं की भूमिका
ज्ञानचन्द खिमेसरा
26 डॉ अम्बेडकर, संविधान एवं सामाजिक न्याय
मनोज कुमार सवैया
27 सामाजिक समरसता स्थापित करने में डॉ अम्बेडकर का योगदान
वी.पी. मीणा
28 भारतीय संविधान में सामाजिक सद्भाव और समावेशी विकास
जनकसिंह मीना
29 महिला उत्थान के संदर्भ में डॉ अम्बेडकर के विचार
रितु जार्ज
30 शिक्षा का मूल अधिकार एवं डॉ अम्बेडकर
हीरालाल बैरवा
31 डॉ अम्बेडकर का सामाजिक एवं आर्थिक विचार दर्शन
एच.एम. बरूआ
32 संविधान शिल्पी डॉ अम्बेडकर
कालीचरण स्नेही
33 भारतीय संविधान की सामाजिक संरचना में डॉ अम्बेडकर का योगदान
रूपेश कुमार सिंह
34 डॉ अम्बेडकर और दलित वर्ग के सन्दर्भ में सामाजिक समरसता अभियान
वीरेन्द्र चावरे
35 डॉ अम्बेडकर एवं महिला सशक्तीकरण: चुनौतियां एवं समाधान
वीणा सिंह
36 भारतीय विधानमंडल में महिला आरक्षण, संवैधानिक स्थिति एवं डॉ अम्बेडकर
प्रवीण रामलाल पंवार
37 डॉ अम्बेडकर के राजनीतिक चिंतन का समाजशास्त्राीय विश्लेषण
तिमोथियस एक्का
38 डॉ अम्बेडकर और महिला सशक्तीकरण: समस्या एवं समाधान
ज्योति सोनी
39 धार्मिक स्वतंत्रता और डॉ अम्बेडकर
शशिकांत बी. पाटील एवं दिनेश निंबाजी पाटील
About the Author / Editor
हरिमोहन धवन वर्तमान में मध्य प्रदेश दलित साहित्य अकादमी, उज्जैन के अध्यक्ष तथा अकादमी से प्रकाशित होने वाली शोध पत्रिका ‘पूर्वदेवा‘ के संपादक हैं। शासकीय महाविद्यालय नागदा, उज्जैन (म.प्र.) के भूतपूर्व प्राचार्य रहे हैं। दलित मुद्दों से संबंधित आपकी अनेक पुस्तकें एवं शोध पत्र राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।
अरुण कुमार वर्तमान में शासकीय महाविद्यालय, विजयराघवगढ़, कटनी में राजनीति विज्ञान के सह प्राध्यापक हैं। दलित, पंचायती राज एवं विकास मुद्दों से संबंधित आपकी अनेक पुस्तकें एवं शोध पत्र राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।